नमस्कार,
आज अपनी पिछली 150 पोस्ट का पोस्टमार्टम करने का मूड बना। वैसे कल जो पोस्ट लिखी थी वह 151 वीं पोस्ट थी इस दृष्टि से ये 152 वीं है। हमने ब्लॉग लेखन का प्रारम्भ मई 2008 में किया था दिनांक 4 को। अपनी पहली पोस्ट पर हमने एक भी टिप्पणी नहीं पाई थी। पोस्ट थी दलित विमर्श को समझने की जरूरत है उस समय ब्लॉग लेखन से भी परिचित नहीं थे, इस कारण टिप्पणी बगैरह पर ध्यान भी नहीं था।
इसके बाद जैसा की लेखन का शौक रहा है, बराबर लिखते रहे और अपनी पांचवीं पोस्ट पर छः टिप्पणी पाई। जैसा कि लग रहा था कि इसपोस्ट पर अधिक कमेन्ट आयेंगे और हुआ भी वही क्योंकि ये पोस्ट थी नारियों से जुड़ी। स्त्री विमर्श के पीछे
अब विस्तार से न जाकर बस संक्षेप में ही...........
सबसे अधिक आज तक टिप्पणी मिली है 9 वो भी केवल दो पोस्ट पर
8 टिप्पणियां मिली चार पोस्ट पर
तीन पोस्ट पर सात टिप्पणियां मिली वे पोस्ट हैं
2- आ गए है बापस
छः टिप्पणी दिलाने वाली पोस्ट रहीं ये-
5- जागो मानव
पाँच टिप्पणी के साथ छः पोस्ट आई-
पहली पोस्ट पर एक भी टिप्पणी नहीं और 150 वीं पोस्ट पर पाँच टिप्पणी।
सत्ताईस (27) पोस्ट तो ऐसी निकलीं जिन पर किसी ने टिपियाने की नहीं सोची।
सबसे अधिक टिप्पणी करके प्रोत्साहित करने वालों में रहे समीर भाई जो अपनी उड़नतश्तरी से आते और टिपिया कर उड़ जाते। हलाँकि वे भी बहुत सी पोस्ट पर टिपियाने से बचते रहे। समीर जी लगभग सत्तर (70) के आसपास टिप्पणी करते पाये गए। इसके अतिरिक्त एक- दो से लेकर दस-बारह तक टिप्पणी करने वाले कई लोग रहे। पाँच-छः टिप्पणी करने वालों में ये लोग भी शामिल हैं
चलिए ये तो था अपनी पोस्ट का पोस्टमार्टम। सभी का शुक्रिया।
अच्छा है, ऐसा पोस्ट मार्टम कार्यक्रम चलता रहना चाहिये. किन्तु मात्र टिप्पणियाँ कितनी आईं, यह कुछ भी निर्धारित नहीं करता है. अन्य संख्कीय औजार भी जाँचिये-आवाजाही, किस सर्च इंजन से कौन, की वर्ड क्या सर्च करके लोग पहुँचे आदि. इसे आगे के दिशा निर्धारण में सहूलियत होगी.
जवाब देंहटाएंअनेक शुभकामनाऐं. जल्द ही दोहरा शतक पूर्ण करें.