21 जुलाई 2010

पुरुष के लिए कितना आसन है महिला का यौन शोषण करना




ये लो! एक और पुरुष ने महिला का यौन शोषण किया। आपको सुनकर अचम्भा नहीं लगा? लगना चाहिए क्योंकि किसी भी पुरुष के लिए कितना आसान है किसी भी महिला का यौन शोषण करना।

(चित्र गूगल छवियों से साभार)

बात हॉकी की है तो जाहिर है कि इसमें चयन की प्रक्रिया भी होती होगी। ऐसे में जहाँ चयन खिलाड़ियों का होना है वहाँ एक पुरुष कोच के लिए कितना आसान है किसी महिला का चयन कर लेना। कोच के ऊपर आरोप लगा है तो कोई ठोस आधार तो होगा ही, आखिर कोई महिला अपनी इज्जत को यूँ ही दाँव पर लगा देती? वो भी सिर्फ एक हॉकी टीम की खिलाड़ी होने के नाते। फिलहाल हमारा चर्चा करना हॉकी अथवा क्रिकेट में चयन को लेकर नहीं है बल्कि पुरुष की यौनेच्छा सम्बन्धी फितरत को लेकर है।

पुरुष के इस स्वभाव को लेकर दो पंक्तियाँ हम अपने छात्र जीवन से ही सुनते ही चले आ रहे हैं-
जहाँ पे देखी नारी,
वहीं पे आँख मारी।

अब ऐसी स्थिति में पुरुष की मानसिकता को आसानी से समझा जा सकता है। हॉकी टीम की महिला के आरोप के सम्बन्ध में कोच की स्थिति को भी जाँचा जाना चाहिए। आखिर पुरुष है, हो सकता है कि ऊपर की दो पंक्तियों का वो भी भरपूर प्रयोग करता हो?

आरोप तो महिला ने लगा दिये (बेचारी नहीं कहेंगे क्योंकि नारी अब अबला नहीं, बेचारी नहीं है) अब बेचारे पुरुष कोच को अपनी सफाई देनी पड़ रही है। सब जगह घूम-घूम कर कह रहा है कि नहीं...नहीं....नहीं, पर पुकार कौन सुने? पुरुष है तो यौन शोषण सौ फीसदी किया ही होगा।

इससे पहले भी कितने पुरुष यौन शोषण कर चुके हैं। महिलाएँ नितान्त भोली और अनजान होती हैं और वे पुरुष की हरकत नहीं समझ पातीं। महिलाओं को तो ये भी पता नहीं चलता है कि उनके साथ दैहिक सम्बन्ध बनाये जा चुके हैं। ये तो वे तब समझ पातीं हैं जबकि इसके बाद मिलने वाला लाभ उनके हिस्से में न आकर किसी और के हिस्से में चला जाता है।

याद करिये विगत कुछ वर्षों के किस्से, चाहे वे राजनैतिक गलियारों से उभरे हों, चाहे वे फिल्मी रंगीनियों से उपजे हों सभी के साथ महिलाओं का अनजाना और भोलापन तथा पुरुष का कांईंयापन, यौनलोनुपता ही छिपी दिखाई दी। महिलाएँ तो इन सत्ता सम्पन्न और धन सम्पन्न लोगों के साथ तो बस ऐसे ही लगीं रहीं, भोलेपन में।

(आये दिन हम जो किस्से सुनते हैं कि महिलाओं को किसी बाबा, ने किसी साधू ने, किसी राजनेता ने, किसी फिल्मी दलाल ने, किसी सत्ताधारी ने, किसी रसूख वाले ने अपने जाल में फँसा लिया है तो उसके पीछे की महिलाओं की मानसिकता को बिना गौर किये सीधे-सीधे आरोपों के घेरे में पुरुष को खड़ा कर देते हैं। इस बारे में विचार किया जाये और महिलाओं को सिर्फ भोली-भाली गुड़िया के रूप में और पुरुषों को कामपिपासु के रूप में परिभाषित किया जाना बन्द किया जाये। यह आग्रह महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों से भी है।)

11 टिप्‍पणियां:

  1. It's high time to be aware now. Women must stop behaving like morons and emotional fools. They must use their intellect before trusting anyone.

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  2. अच्छी पोस्ट

    एक महिला पुलिस कर्मी ने अपने सहकर्मियों पर 9 वर्षों से ब्लात्कार करने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

    समाचार यहां पढिए

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  3. ye to bahut sundar baat kahi...mahila ko ab bechari nahi kaho ab purush bechare hain aur apne ko bachate ghoom rahe hain. mahila dekhi nahin ki fanse.!!
    achchha hai.

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  4. ye to bahut sundar baat kahi...mahila ko ab bechari nahi kaho ab purush bechare hain aur apne ko bachate ghoom rahe hain. mahila dekhi nahin ki fanse.!!
    achchha hai.

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  5. ये छीछालेदर अच्छी की है. पहले मजे उठाओ फिर काम न बने तो दोषारोपण कर दो पर सभी महिलायें ऎसी नहीं हैं. अब इसके दूसरे पक्ष पर भी लिखना.
    आशीर्वाद

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  6. ये छीछालेदर अच्छी की है. पहले मजे उठाओ फिर काम न बने तो दोषारोपण कर दो पर सभी महिलायें ऎसी नहीं हैं. अब इसके दूसरे पक्ष पर भी लिखना.
    आशीर्वाद

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  7. मधुमिता, कविता, अभी मुंबई की एयर होस्टेस आदि की घटनाओं में महिलाएं अपने भोलेपन का ही शिकार हुईं हैं. बे (नहीं बेचारी नहीं) पुरुष की कामुक आँखों ने उनको सम्मोहित किया और फिर उनको याद नहीं की हुआ क्या?

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  8. मधुमिता, कविता, अभी मुंबई की एयर होस्टेस आदि की घटनाओं में महिलाएं अपने भोलेपन का ही शिकार हुईं हैं. बे (नहीं बेचारी नहीं) पुरुष की कामुक आँखों ने उनको सम्मोहित किया और फिर उनको याद नहीं की हुआ क्या?

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  9. ललित जी ये समाचार पढ़ था, अब यहाँ क्या कहा जाए? शादी का वादा और नौ साल तक शारीरिक शोषण?
    मुंबई का एयर होस्टेस का सह जीवन स्टाइल और फिर शादी करने का दवाब, न करने पर बलात्कार का आरोप.....
    फिर वही पुराना सवाल कि महिला और पुरुष आपसी सहमती से शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं और बाद में महिला किसी कारण से पुरुष पर बलात्कार का आरोप लगा दे तो पुरुष कैसे सिद्ध करे कि सम्बन्ध आपसी सहमती से बने थे?

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  10. वक़्त-काल-परिस्थितियाँ... ना हर जगह नर सही है और ना हर जगह नारी... बुराइयां दोनों में हैं...

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