01 अक्टूबर 2008

डर सा लगता है

"जय श्री राम" अब ये शब्द कहने में डर सा लगता है. अपने हिन्दू होने पर डर लगता है. लगातार होते हमलों ने मुस्लिम समाज को, ईसाई समाज को भयभीत कर दिया है वहीँ हमें हिन्दू होने के अहसास ने भयभीत कर रखा है. कभी घटना आती है कि किसी स्थान पर कोई आंतकवादी पकडा गया है तो मन ही मन दुआ करते हैं कि पकड़ने वाले का नाम किसी मुस्लिम या ईसाई समुदाय से ना हो. कभी तो कोई आंतकवादी हिन्दू नाम का भी पकडा जाए. कहीं ये हिन्दुओं की साजिश तो नहीं? हिन्दू वैसे भी हमेशा साजिश ही करता रहा है. कभी मुस्लिमों पर हमले करके और कभी ईसाइयों पर हमले करके; कभी मस्जिदों को गिरा कर तो कभी गिरजाघरों में आग लगा कर. बहरहाल हिन्दू संगठन क्या करते रहे, क्या कर रहे हैं ये हमारी चिंता नहीं. हमें तो अपने हिन्दू होने की चिंता हो रही है.
अपने आसपास, मुहल्ले में, पड़ोस में, कॉलेज में, बाज़ार में हर समय हम यही चिंता में डूबे रहते हैं कि कहीं कोई दंगा न हो जाए, कहीं किसी बम की आवाज़ न गूँज जाए, कहीं किसी को पकड़ न लिया जाए. कहने को ये न हो कि एक हिन्दू टहल रहा था इस कारण ये सब हो गया. हर समय सोते-जागते यही डर लगता है कि कहीं ऐसा न हो कि हमारे आने-जाने के स्थानों के आसपास की किसी मस्जिद या गिरजाघर में कोई आतंकी कार्यवाही हो जाए और हिन्दू होने के नाते हमें ही पकड़ लिया जाए.
हर तरफ़ आज चर्चा इसी बात की है कि हिन्दुओं द्वारा मस्जिद पर, गिरजाघरों पर हमले किए जा रहे हैं. ये कौन से हिन्दू हैं ये नहीं बताया जा रहा है. इसी कारण डर लगता है कि कोई हमें बाहर निकलते समय संदेह की निगाह से तो नहीं देखता? कोई हमारा संपर्क किसी हिंदूवादी संगठन से तो नहीं जोड़ता है? उफ़.......कितना कष्ट है आज अपने हिन्दू होने में। ऐसा ही कष्ट मुसलमान भी दर्शाते हैं, ईसाई भीदार्शाते हैं पर गनीमत है इनके साथ कि सरकार, मंत्री, मीडिया, बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार आदि-आदि सभी लोग हैं पर बेचारा हिन्दू एकदम अकेला है.
जो दो-एक साथ भी आते हैं वे भी सांप्रदायिक कह दिए जाते हैं.......डर एक ये भी है कि कहीं हमें सांप्रदायिक न कह दिया जाए? तो हिन्दुओ मेरी खातिर ही आवाज़ सुनो........सब कुछ करो पर अपने धर्म की बात न करो........सब कुछ कहो बस "जय श्री राम" न कहो.

5 टिप्‍पणियां:

  1. धारधार लेख है जी.. आप ही की तरह मैं भी इसी ख़ौफ़ से गुज़र रहा हू.. कुछ बोल दिया तो कहेंगे संप्रदायिक होने का टैग लग जाएगा.. धन्य है सेकूलरिस्म...

    वैसे जाते जाते इतना कहूँगा.. जय श्री राम

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  2. हम भी डरे बैठे है जी .कुछ बोले तो मुश्किल ,ना बोले तो मुश्किल ?

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  3. अजी सत्य बचन .
    इसी का परिणाम है राम के नाम से शुरू होने वाली हर सुबह अब कुछ और ने ले लिया है . खोफ इतना की राम के नाम से अभिवादन स्वीकारने मैं सकोंच करने लगे हैं .
    जय राम जी की .

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  4. राम राम भैयाजी,

    मैं गांधी जयंती पर चिंतित हूं.

    आपको याद है अपने महात्मा - गांधीबाबा नें भी हे राम कहा था?

    सांप्रदायिक कही का.

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