रामजन्मभूमि मामले में माननीय
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात् सभी की दृष्टि राममंदिर ट्रस्ट निर्माण की
ओर लगी हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण
को लेकर ट्रस्ट बनाने की घोषणा की। इस ट्रस्ट को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र
के नाम से जाना जायेगा। गृहमंत्री अमित शाह ने बाद में बताया कि इस ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे
जिसमें एक दलित समाज का सदस्य होगा। केंद्र सरकार ने ट्रस्ट में प्रयागराज के ज्योतिष
पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को शामिल किया गया है। इसके अलावा ट्रस्ट में
निर्मोही अखाड़े को भी स्थान दिया गया है, लेकिन अखाड़े के महंत
दिनेंद्र दास को ट्रस्ट की मीटिंग में वोटिंग का अधिकार नहीं होगा।
ये होंगे ट्रस्टी
1. के पाराशरण:
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील
के. परासरन ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे। उन्होंने रामलला विराजमान की ओर से अयोध्या मामले
में लंबे समय तक पैरवी की। 92 वर्षीय परासन ने सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर बहस की
जबकि उन्हें कुर्सी पर बैठने अनुमति दी गई थी। वह रामसेतु समुद्रम परियोजना पर भी मुकदमा
लड़ चुके हैं। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा
चुका है। सबरीमाला मामले में भगवान अयप्पा के वकील रहे परासरन को भारतीय इतिहास, वेद पुराण और
धर्म के साथ ही संविधान का व्यापक ज्ञान है। राम मंदिर मामले के दौरान उन्होंने स्कंध
पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की। इंदिरा
गांधी और राजीव गांधी सरकार में अटॉर्नी जनरल रहे।
2. जगतगुरु शंकराचार्य
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज (प्रयागराज):
बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के
शंकराचार्य। हालांकि,
इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी रहा। ज्योतिष मठ की शंकराचार्य
की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट
में केस दाखिल किया था।
3. जगतगुरु मध्वाचार्य
स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज:
कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर
मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ
के निधन के बाद पदवी संभाली।
4. युगपुरुष परमानंद जी
महाराज:
अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख।
वेदांत पर 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने साल 2000 में संयुक्त
राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।
5. स्वामी गोविंद देव
गिरि जी महाराज:
महाराष्ट्र के अहमद नगर में
1950 में जन्म हुआ। रामायण,
श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों
का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं। स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक
गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं।
6. विमलेंद्र मोहन प्रताप
मिश्रा:
अयोध्या राजपरिवार के वंशज। रामायण
मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी। 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, हारे। इसके बाद
कभी राजनीति में नहीं आए।
7. डॉ. अनिल मिश्र, होम्पयोपैथिक
डॉक्टर:
मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी अनिल
अयोध्या के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर हैं। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार
हैं। मिश्रा ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई थी। अभी संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं।
8. श्री कामेश्वर चौपाल, पटना (एससी सदस्य):
संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक
का दर्जा दिया है। उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी।
राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका और दलित होने के नाते उन्हें यह मौका दिया गया।
1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा।
9. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा
नामित एक ट्रस्टी,
जो हिंदू धर्म का हो।
10. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी
द्वारा नामित एक ट्रस्टी,
जो हिंदू धर्म का हो।
11. महंत दिनेंद्र दास:
अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के
अयोध्या बैठक के प्रमुख। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा।
12. केंद्र सरकार द्वारा
नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म
का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा। यह
व्यक्ति भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे नहीं होगा। यह एक पदेन सदस्य होगा।
13. राज्य सरकार द्वारा
नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म
का होगा और उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा।
यह व्यक्ति राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे नहीं होगा। यह एक पदेन सदस्य होगा।
14. अयोध्या जिले के कलेक्टर
पदेन ट्रस्टी होंगे। वे हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी कारण से मौजूदा
कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं,
तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) पदेन सदस्य होंगे।
15. राम मंदिर विकास और
प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा। उनका हिंदू होना जरूरी
है।
जो ट्रस्टी हैं उनकी ओर से (क्रम
दो से आठ तक के) 15
दिन में सहमति मिल जानी चाहिए। ट्रस्टी नंबर एक इस दौरान ट्रस्ट स्थापित
कर अपनी सहमति दे चुका होगा। उसे सीरियल नंबर दो से सीरियल नंबर आठ तक के सदस्यों की
तरफ से ट्रस्ट बनने के 15 दिन के अंदर सहमति ले लेनी होगी।
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