माँ को समर्पित कुछ पंक्तियाँ। संसार की हर माँ ऎसी ही होती है।
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आसमान की तेज धूप में,
शीतल छाया सी लगती हो।
मन के अँधियारे में,
धवल चाँदनी सी सजती हो।
दुःखों में नहीं तन्हा रहा,
विश्वास की ढाल बनती हो।
सफलता मिली जब भी कभी,
सिर पर ताज सा चमकती हो।
दूर रहे जब भी तुमसे,
धड़कन बनकर धड़कती हो।
क्या अस्तित्व है तुम्हारे बिना?
माँ, तुम ही मेरी जिन्दगी हो।
चुनावी चकल्लस- वे अब बहुत ही कायदे से मिलते हैं,
हर मुलाकात में फायदा ही देखते हैं।
फिर लाये हैं भर कर वादों की टोकरी,
मांगो या न मांगो बिना भाव तौलते हैं।
शामो-सहर जब आयें जोड़ कर हाथ,
समझो कि सिर पर चुनाव डोलते हैं।
बहुत बढिया लिखा है।
जवाब देंहटाएंsundar rachnaa... maa ke baare me kuchh bhi kahane aur tippni ke liye mere paas shabd nahi hai.....
जवाब देंहटाएंarsh
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जवाब देंहटाएंsunder likha haen
जवाब देंहटाएंकविता तो सुंदर है ही चुनावी चकल्लस भी बढ़िया है ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंkhubsurat rachna....
जवाब देंहटाएंNice one ...
जवाब देंहटाएंसेंगर साहब बहुत ही अच्छी रचना लिखी है आपने मांता जी के लिए लेकिन शायद मां के बारे में अगर हम बात करें कि शब्दों में पूरी कर लेंगे नहीं कर सकते क्योंकि मां तो मां है शब्दों की तो बिसात ही क्या
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना के लिए आपको बारम्बार बधाई