मीडिया के साथ जुड़ाव बचपन से
ही रहा है. पिताजी के मित्र समाचार-पत्र दैनिक एलार्म का प्रकाशन उरई से करते थे.
उनके साथ पारिवारिक संबंधों के कारण पत्रकारिता को बहुत करीब से देखने का अवसर
बचपन से ही मिला है. इसी तरह प्रिंट लाइन में जनपद जालौन में अपनी सबसे अलग स्थान
रखने वाले श्री राजाराम गुप्ता जी से भी पारिवारिक सम्बन्ध होने के कारण इस
क्षेत्र की बारीकियों को भी बहुत करीब से देखने-समझने का अवसर बचपन से ही मिला.
हमारे अभी तक के अभिन्नतम मित्रों में से एक अश्विनी कुमार गुप्ता ‘बबलू’ जो श्री
राजाराम गुप्ता जी के नाती हैं, और हम बचपन से अभी तक एक-दूसरे के साये की तरह
एक-दूसरे के साथ हैं. स्नातक करने के बाद अपने लेखन शौक के कारण खुद भी मीडिया के
संपर्क में आये. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संपर्क हुआ, सम्बन्ध बने. इस
मीडिया से संपर्क विस्तार के बाद जब सोशल मीडिया में प्रवेश किया तो पता नहीं था
कि उसमें जितनी राहें हैं वे सारी भूलभुलैया की तरह काम करती हैं. जरा सा भटके
नहीं कि फिर उसी में खो गए. सोशल मीडिया की राह पर चलना शुरू किया ब्लॉग के माध्यम
से जो चलते-चलते कब फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर आदि तक पहुँच गया, पता ही नहीं
चला.
वैचारिक आदान-प्रदान के लिए
सर्वोत्तम मंच समझकर यहाँ अपनी उपस्थिति कुछ ज्यादा ही बना ली. इस उपस्थिति के
अपने ही परिणाम निकले. बहुत से लोग बौद्धिक विमर्श में सहायक बने, उनसे बहुत कुछ
सीखने को मिला. कुछ लोग सामाजिकता में वृद्धि करते दिखे तो उनसे भी सीखा गया. कुछ
लोगों का कार्य पूर्वाग्रह से भरकर सिर्फ वैमनष्यता ही फैलाता दिखा तो कुछ दिन
उनसे तर्क-वितर्क की स्थिति के बाद लगा कि ऐसे लोगों से बहस का कोई सार नहीं. सो
ऐसे लोगों से किनारा करना ज्यादा उचित समझ आया. और भी तमाम तरह की प्रजातियाँ सोशल
मीडिया पर मिलीं. इन्हीं में से एक प्रजाति ऐसी मिली जिसका काम इनबॉक्स में आकर
हाय, हैलो करना, दो-चार बार के बाद उससे भी कई कदम आगे जाकर प्यार का इजहार करना,
शारीरिक सम्बन्ध बनाने की चाह व्यक्त करना, न्यूड फोटो भेजना शुरू हो जाता. इस तरह
के कृत्य करने के बाद भी इनका दम ये भरना रहता कि हमसे प्रेम करती हैं, दिल की
गहराइयों से प्रेम करती हैं, हमारे प्यार में सबकुछ कर गुजर जायेंगी. हालाँकि कई
बार शंका होती इनके फर्जी होने की तथापि कई प्रोफाइल सही भी पायी गईं. तब लगा कि
सोशल मीडिया के प्रति लोगों के, विशेष रूप से युवाओं के आकर्षण ने विचारों की
अभिव्यक्ति को कितनी स्वतंत्रता दे दी है. विचारों में भी ख़ास तौर से सेक्स
सम्बन्धी अभिव्यक्ति को, नग्नता प्रदर्शित करने सम्बन्धी अभिव्यक्ति को. सेक्स की
इस उन्मुक्त अभिव्यक्ति के साथ ये युवा पीढ़ी किस स्वतंत्रता की पोषक बनेगी, पता
नहीं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें