30 सितंबर 2010

अदालत के फैसले के बाद मुसलमान तय करें कि राम का वनवास बना रहे या बाबर को देश की नागरिकता मिले


आज देश का एक बहुत बड़ा फैसला हुआ। राम जन्मभूमि स्थल को हिन्दुओं का स्वीकारा गया। यह सुखद फैसला है और इस दृष्टि से भी सुखद कहा जायेगा कि इससे देश की सांस्कृतिक विरासत का आधार तय हो गया।


चित्र गूगल छवियों से साभार

इस फैसले को केवल इस दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए कि यह हिन्दुओं के पक्ष की बात करता है वरन् इसको इस दृष्टि से भी देखे जाने की आवश्यकता है कि देश में एक धरोहर पर चली आ रही बेवजह की बहस को भी कुछ हद तक विराम दिया है।

यह फैसला उच्च न्यायालय का रहा और इससे असंतुष्ट पक्ष को उच्चतम न्यायालय में जाने का रास्ता खुला है। यही वह बिन्दु है जिस पर मुसलमान अपने को इस देश की सांस्कृतिक विरासत का पक्षकार सिद्ध कर सकते हैं। कभी भी किसी आम भारतीय की ओर से यह नहीं कहा गया कि मुसलमान इस देश के नागरिक नहीं हैं। इसको राजनीतिक नजरिये से देखे जाने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद भी मुसलमानों ने उस मस्जिद के लिए विवाद खड़ा किया जो उनके किसी पुरखे ने नहीं वरन् देश पर आक्रमणकारी बाबर ने बनवाई थी।

जहां तक सभी को याद होगा कि पहली बार 1992 में इस विवाद के आने के बाद मुसलमानों ने इस पर बहुत आपत्ति की थी कि उनको बाबर की औलाद के रूप में पुकारा जा रहा है। अब वही स्थिति फिर खड़ी होने वाली है, यदि बाबर मुसलमानों के लिए पूज्य नहीं है, बाबर को मुसलमानों ने अपने पूर्वज के रूप में नहीं स्वीकारा है तो फिर अब वे एकमत से, तहेदिल से अदालत के इस फैसले का सम्मान करते हुए राम जन्मभूमि पर राम का भव्य मंदिर बनने में सहयोग कर देश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में अपना भी योगदान दें।

इसके उलट यदि वे बाबर को अपना कुछ विशेष मानते हैं जो इस देश के राम से भी अधिक सर्वोपरि है, एक विदेशी आक्रमणकारी द्वारा बनवाई गई एक इमारत उनके लिए इस देश की सांस्कृतिक धरोहर से अधिक महत्वपूर्ण है तो फिर वे उच्च न्यायालय के इस फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में जाकर अपनी भावना को सिद्ध करदें।

अदालत को जो करना था वो कर चुकी, अब मुसलमानों को यह सिद्ध करना है कि राम का वनवास यथावत बना रहे अथवा विदेशी आक्रमणकारी बाबर को इस देश की नागरिकता दे दी जाये? हमें याद रखना होगा कि हमारे लिए कोई भी इस कारण स्तुत्य नहीं हो जाता कि वह हमारे धर्म का है, हमारी जाति का है।

अब देखना है कि मुसलमानों का अगला कदम किसके पक्ष में होता है, राम को वापस अयोध्या में प्रतिष्ठित करने के अथवा बाबर को इस देश का नागरिक बनाने में? फैसला मुसलमानों को ही करना है।


14 टिप्‍पणियां:

  1. अब देखना है कि मुसलमानों का अगला कदम किसके पक्ष में होता है..............

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  2. ram ko vanvaas musalmanon se jayada hinduon ne diya hai, aap hinduon ko sikhayen kuchh.
    bhajpa ko chhod sabhi hindu to iske khilaaf hain.
    babar to kabhi musalmanon ka nahin tha aur na rahega.

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  3. ram ko vanvaas musalmanon se jayada hinduon ne diya hai, aap hinduon ko sikhayen kuchh.
    bhajpa ko chhod sabhi hindu to iske khilaaf hain.
    babar to kabhi musalmanon ka nahin tha aur na rahega.

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  4. ab jo bhi ho hamesh satya ki vijay hoti hai
    jiske liye ye mukdma chal raha tha unhone hamesh satya ka marg dikhaya hai to hame unhika (sri ram)anusaran karna chahiye

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  5. आप लोग भी न ...भेडियों से सात्विकता की आशा कर रहे हैं | इन लोगों को तो सद्भावना का मतलब भी नहीं पता | जो लोग "या खुदा भेज दे एक और गजनबी" के पोस्टर बनवाते हों वो क्या कुछ अच्छा कर सकते हैं ?

    महत्वपूर्ण तो यह है की क्या "धर्मनिरपेक्ष" हिन्दुओं की आंकें खुलेंगी अब

    वैस एमें तो इस अधूरी उप्लाब्धि से छ्हाला हुआ महसूस कर रहा हूँ

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  6. प्यार-मोहब्बत ज़िन्दाबाद !

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  7. ये फैसला बहुत सही आया है, अब मुसलमानों को इसके साथ हिन्दू भावनाओं का ख्याल रखते हुए मंदिर के निर्माण में सहयोग देना चाहिए.

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  8. sir ji,
    ab adaalat ke faisale ka samman karna donon ke liye jroori hai. isko kisi ki har-jit se na jodkar desh ki sanskriti se juda mana jaye.
    achchhi post.
    rakesh kumar

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  9. sir ji,
    ab adaalat ke faisale ka samman karna donon ke liye jroori hai. isko kisi ki har-jit se na jodkar desh ki sanskriti se juda mana jaye.
    achchhi post.
    rakesh kumar

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  10. बहुत ही बढिया ख्याल हैं आपके.




    श्रीराम जय राम - जय जय राम

    बधाई हो
    बधाई हो

    दोनों पक्षों को शुभकामनाएं.

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  11. 'सत्यमेव जयते' वैसे अदालत का फैसला अमन कायम रखने के उद्देश्य से प्रेरित है.. सही भी है.

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  12. सुन्नी वक्फ बोर्ड फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जा रहा है , उनके इस कदम से जाहिर है उन्हें शांति ,सद्भावना ,देशहित से कोई लेना देना नहीं यदि फैसला उनके हक़ में इक तरफा आता तब ये हिन्दू बड़े न्यायालय में न जाये इसकी उम्मीद जरुर रखते |

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  13. डाक्टर साहब अपने मेरे मन कि बात कह दी. आपके विचारों से पुर्णतः सहमत.

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