16 फ़रवरी 2010

350 वीं पोस्ट --- प्रयास रहेगा कुछ सार्थक लेखन करने का

आज हमारी इस ब्लाग पर यह 350वीं पोस्ट है। कितनी जल्दी समय गुजरता है कभी-कभी पता भी नहीं चलता। अपनी इस तीन सौ पचासवीं पोस्ट तक की यात्रा को देखने पर पता चलता है कि बहुत से खट्टे-मीठे अनुभवों का सामना करना पड़ा (गनीमत यह रही कि सच का सामना सीरियल जैसे सवालों का सामना नहीं करना पड़ा)

(चित्र गूगल छवियों से साभार)
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पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है कि जैसे कल की ही बात हो जब ब्लाग की शुरुआत की थी। इस शुरुआत को भी मई माह में दो वर्ष हो जायेंगे।

कितना कुछ बदलाव आ गया है अब व्यक्ति के जीवन में। पहले अपना लिखा हुआ पढ़वाने के लिए पाठक की तलाश तो रहती ही थी, प्रकाशक की तलाश भी रहती थी। उस पर भी मजबूरी यह कि छपेगा कि नहीं, छपेगा तो कोई पढ़ेगा भी या नहीं?

इंटरनेट ने सभी दूरियों को पाटते हुए पाठक-प्रकाशक सभी एक स्थान पर ला दिये। अब कोई मजबूरी नहीं, किसी का कोई बन्धन नहीं, सम्पादक की काट-छाँट का डर नहीं। अब जो मर्जी आये लिखो, जितनी मर्जी हो लिखो। किसी के ऊपर कटाक्ष करने कहों तो वो भी आजादी, किसी के प्रति समर्थन व्यक्त करना हो तो वो भी अपने हाथ में।

पहले-पहल लगा था कि कितना सही रहा है इस ब्लाग का जन्म। बड़े जोश में लिखा जाता रहा, बहुतों को पढ़ा जाता रहा। उत्साह बढ़ा कि हिन्दी भाषा के प्रति लोगों में मोह बढ़ा है किन्तु उत्साह बहुत दिनों तक नहीं रहा। इंटरनेट के साथ जैसे-जैसे मित्रता बढ़ती गई और खोजों का सिलसिला जैसे-जैसे बढ़ता गया तो लगा कि हिन्दी भाषा में अभी भी जानकारियों का अभाव है।

अकसर देखा गया कि जो खोजा जा रहा है वह नहीं मिल रहा, कोई लिंक मिली भी तो उसमें आधी-अधूरी जानकारी। हिन्दी भाषा से सम्बन्धित सामग्री के लिए खुलने वाली लिंक में ज्यादातर ब्लाग लिंक ही खुलती, जिनमें सामग्री का अभाव दिखता। (हमारा स्वयं का ब्लाग भी इससे अछूता नहीं है।)

हर व्यक्ति के जीवन में एक क्षण ऐसा आता है जब वह स्व से ऊपर आकर कुछ करना चाहता है। हम सभी ब्लाग सदस्यों को भी अब इस ओर आ जाना चाहिए। हिन्दी भाषा के विकास के लिए बहुत ही व्यापक मंच हम सभी को मिला है। इस मंच का उपयोग अब हमें हिन्दी में सार्थक सामग्री के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार के लिए करना चाहिए।

अपनी इस पोस्ट पर वादा तो नहीं करते (क्योंकि वादा तो टूट जाता है) आप सभी को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि प्रयास होगा कि ब्लाग के माध्यम से हिन्दी भाषा-साहित्य के सम्वर्द्धन के लिए कुछ थोड़ा बहुत ही कर सकें।

आप सभी से भी निवेदन है कि हिन्दी भाषा-साहित्य के विकास में, सकारात्मक-सार्थक विकास में अपना अतुलनीय सहयोग अवश्य प्रदान करें। इससे लाभ यह होगा कि हमें हिन्दी भाषा की सामग्री के लिए अंग्रेजी भाषा की लिंक का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।

आप सभी का सहयोग और प्यार-स्नेह हमें बराबर चाहिए है।



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