28 अक्टूबर 2009

गाँव में चलते हैं छः तथा सात रुपये के नोट

इस बार गंभीर सा नहीं, कुछ हल्का-फुल्का हो जाए.......

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एक गाँव में रात के समय एक शहरी ठग पहुँचा। उसने सोचा कि रात के अँधेरे में गाँव के किसी बूढ़े व्यक्ति को ठगा जाये। ऐसा सोच वह एक छोटी सी दुकान पर पहुँचा, दुकान पर एक बहुत ही बुजुर्ग व्यक्ति बैठा था।
उस शहरी युवक ने एक नोट देकर उस बूढ़े व्यक्ति से कहा-‘‘बाबा, छुट्टे दे दो।’’
बूढ़े ने देखा कि नोट तेरह रुपये का है। उसने कहा-‘‘बेटा ये नोट तो नकली है। अभी तक तेरह रुपये का नोट आया ही नहीं है।’’

युवक ने कहा-‘‘बाबा, नोट तो असली है। सरकार ने ये नया नोट चलाया है। अभी शहर में ही आ पाया है, गाँव तक आने में कुछ समय लगेगा।’’
बूढ़े व्यक्ति ने सहमति में सिर हिलाया और अंदर से दो नोट लाकर उस शहरी ठग को दिये। युवक ने नोट देखे और कहा-‘‘बाबा, ये क्या? एक नोट छह रुपये का और एक नोट सात रुपये का। ये तो नकली हैं।’’
बूढ़े ने कहा-‘‘नहीं बेटा, ये दोनों नोट असली हैं, अभी सरकार ने नये-नये चलाये हैं। गाँव में आ गये, शहर तक आने में समय लगेगा।’’

9 टिप्‍पणियां:

  1. छत्तीसगढ मे पहले से चल रहे हैं डाक्साब मध्य प्रदेश मे अभी आये हैं।हा हा हा हा हा।

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  2. :)
    हा हा हा......बढिया रहा ये लतीफा!!

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  3. ऐसा ही एक किस्सा चलता था 15 रू.के छुट्टे मे साढ़े सात के दो नोट

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