20 अक्तूबर 2009

लगे रहो मुन्ना भाई....!!!!

‘लगे रहो मुन्ना भाई’ इस नाम से एक फिल्म आई थी बाद में यह शीर्षक ही प्रसिद्ध हो गया। बाहर कितना प्रसिद्ध हुआ यह तो पता नहीं पर हम दोस्तों के बीच आपसी हँसी-मजाक के दौर में यह एक जुमले की तरह इस्तेमाल होने लगा।
पिछले कुछ समय से हम अपने एक मंत्री महोदय को देख रहे हैं कि वे शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कर देने के मूड में लग रहे हैं। आये दिन किसी न किसी नये सिद्धान्त की खोज कर लाते हैं और दे मारते हैं भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर।
पहले अंक हटाओ ग्रेडिंग लाओ का नारा लगाते हुए बोर्ड की परीक्षा में ग्रेड सिस्टम लागू किया और आज समाचार सुनने में आया कि अब आई0आई0टी0 के द्वारा इंजीनियर बनने के लिए इंटरमीडिएट में 80 प्रतिशत अंक लाने होंगे। वाह भई वाह! क्या बात है। एक तो लड़के को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा पास करने का जोर और अब उस पर अधिक से अधिक अंक लाने की बाध्यता, मतलब टेंशन पर टेंशन।
एक बात और मंत्री जी ने यह नहीं बताया कि आरक्षण की मिठाई खा रहे या कहें कि लालीपाप चूस रहे लोग कितने अंक लायें कि वे इस राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में बैठ सकेंगे? यह तो सीधे-सीधे तय है कि उन्हें 80 प्रतिशत अंक नहीं लाने होंगे।
देखा आने एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा और अंकों का आधार? इसे कहते हैं मारामारी। जो सामान्य अंक ला देगा वह घुसपैठ करेगा सामान्य अंक के विद्यार्थी की सीट पर और यदि अंक नहीं आ सके तो आरक्षण तो है ही। ठीक यही स्थिति रहती है प्रवेश को लेकर। अंक आयेंगे, कम आये तो आरक्षण है न। (ठीक वही धुन ‘मैं हूँ न’।)
चलिए एक ओर देश के काबिल नौजवान अधिक अंक लाने के लिए मरते फिरेंगे (इन्हीं में से कुछ टेंशन के कारण सच में ही मर जाते हैं) और कुछ होनहार आरक्षण के सहारे ही अपनी नैया पार करते दिखेंगे।
मंत्री जी के इस तरह के निर्णय और सरकार के आरक्षण सम्बन्धी कई अन्य निर्णयों पर वही दोस्तों के बीच वाला जुमला तैरता दिखता है ‘‘लगे रहो मुन्ना भाई’’।

6 टिप्‍पणियां:

  1. चलिए एक ओर देश के काबिल नौजवान अधिक अंक लाने के लिए मरते फिरेंगे .......

    bilkul sahi kaha aapne.......

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  2. बड़बोले मंत्री की बडबोली बात,
    सिब्बल की नोजवानों को यह कैसी सौगात? ".
    अच्छे प्रश्न उठाये हैं आपने.

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  3. सिब्बल जी के हाथ उलटा मिनिस्ट्री लग गया है, अब देखते हैं...

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  4. छोडिये इन्हें भी क्या गम्भीरता से लेना !

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  5. लग भी नही पाये मुन्ना भाई कि आपने उन्हे पलटा दिया डाक्साब। अच्छी बत्ती दी, सुधर गये और बयान से मुकर भी गये।

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