12 मई 2009

सवालों के जवाब चाहिए हैं आज......

इन दिनों ब्लाग पर कुछ विशेष विषयों को लेकर काफी कुछ लिखा जा रहा है। इस लेखन के पीछे क्या छिपा है यह तो लिखने वाले ही जाने पर यह तो साफ है कि समय के साथ चलते हुए लेखन भी अपनी टी0आर0पी0 जैसी व्यवस्था बना लेता है।
लेखन हो रहा है महिलाओं को लेकर; कोई महिलाओं की आयु विशेष को ध्यान में रखकर अपनी पोस्ट लिख रहा है। किसी के सामने प्रश्न रखे जा रहे हैं। कोई राम-सीता-रामायण को लेकर अपने विचारों की प्रस्तुति कर रहा है। अच्छा है कम से कम ब्लाग के माध्यम से ही सही महिलाओं की स्थिति पर चर्चा तो हो रही है।
चर्चा होना अच्छी बात है पर इस चर्चा के पीछे उद्देश्य अच्छा हो तो और भी अच्छी बात है। अकसर देखा गया है कि इस प्रकार की चर्चा में अपनी स्थिति के विकास और अपनी स्थिति को सही करने से अधिक चर्चा पुरुष वर्ग को दोष देने की, उसको कोसने की होती है। इस बात से तो कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि समाज में पुरातनकाल से ही महिलाओं के साथ अलग तरह का व्यवहार होता रहा है। पर क्या हर बार इसी बात को दोहरा देने से, इसी व्यवस्था को लेकर समूचे पुरुष वर्ग को कोसते रहने से समस्या का हल निकल आयेगा?
अरे, महिला अपना शरीर दिखाती है बेशक दिखाये, पुरुष को उसको रोकने-टोकने का अधिकार नहीं होना चाहिए। अब इसी के ठीक उलट यदि किसी महिला के साथ कोई ज्यादती हो जाती है तो फिर वह घूम कर पुरुष वर्ग की शरण में ही क्यों आती है? बहरहाल सवाल बहुत हैं पर जवाब शायद ही किसी का प्राप्त हो। महिलायें अपनी किसी भी स्थिति के लिए सिर्फ और सिर्फ पुरुष को दोष देना जानतीं हैं। यहाँ एक बात गौर करने लायक है कि क्या समूचा पुरुष वर्ग ही दोषी है?
आज इस पोस्ट को लिखने का कारण भी यही है। कल एक समाचार पर निगाह पड़ी, जिसमें लिखा था कि एक बहू ने अपने ससुर को इतना मारा कि वह घायल होकर उपचार के दौरान मर गया। आपस में चर्चा के दौरान जब इस समाचार पर भी अपनी महिला मित्रों की राय ली तो उन सभी का एक सुर में कहना था कि अवश्य ही ससुर ज्यादती करता होगा। एक अन्य पहलू यह भी सामने आया कि जब पुरुष की पिटाई से कोई महिला मर जाती है तो चर्चा नहीं होती। कहने का आशय यह कि सब जायज है।
इसी बात पर बहुत पुरानी एक घटना, हमारे शहर की, याद आ गई। आज से लगभग 15 साल पहले की बात है, तब हमारे शहर में एक लड़के ने आत्महत्या कर ली थी। कारण था उसकी सगी बड़ी बहिन द्वारा उसका शारीरिक शोषण करना। उस समय शायद कोई भी इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रहा होगा कि कोई लड़की भी किसी लड़के का शारीरिक शोषण कर सकती है। आज भी गाहे-बगाहे उस चर्चा के दौरान लड़के को ही भला-बुरा कहा जाता है।
पोस्ट पर आज टिप्पणी नहीं चाहिए सवालों के जवाब चाहिए। जो भी जवाब दे, महिला हो तो और बेहतर, हाँ टिप्पणी की आज हमें चाह नहीं।

बहुत बार बलात्कार के सम्बन्ध में पुरुष मानसिकता को दोष दिया जाता है कि महिला का क्या कसूर, पुरुष फिर भी उस पर ताने मारता है।

इस बात पर सवाल कि यदि आपके घर के लड़के की शादी जिस लड़की से होने वाली है और मालूम हो जाये कि उसके साथ बलात्कार हुआ था तो क्या उसको घर की बहू बना लिया जायेगा? (यह सवाल विशेष रूप से उन महिलाओं से जो नारी सशक्तिकरण के नाम पर झंडा बुलन्द करतीं हैं और पुरुषों को गाली देकर इतिश्री कर लेतीं हैं)

सवाल एक और यह कि किसी भी शादी में दहेज कम मिलने पर नवविवाहिता बहू को सास, ननद, जेठानी के ताने ज्यादा सुनने को मिलते हैं या फिर घर के पुरुषों के?

सवाल यह भी कि शादी के बाद बहू की कोख जल्दी न भरने पर बाँझ, कुलटा, कुलबोरन जैसे बहुप्रशंसित शब्दों से बहू को कौन नवाजता है और क्यों?

सवाल यह भी महत्वपूर्ण है कि आस-पड़ोस के लड़के और लड़की के अफेयर की खबर को मुहल्ले में प्रसारित करने का सबसे बेहतरीन कार्य कौन करता है, पुरुष या महिला?


सवाल बहुत हैं पर इतने ही सवालों के जवाब बिना पूर्वाग्रह के मिल जायें यही बहुत है। किसी भी गलती के लिए किसी दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ना आसान है। पिछले दिनों एक जगह पढ़ा कि महिलायें क्यों स्वयं ही अपना बदन दिखाने में लगीं हैं? इसका जवाब एक महिला द्वारा ही कुछ इस प्रकार दिया गया कि अभी तक पुरुष महिला के बदन को नग्न रूप में दिखा कर पैसे कमाता रहा। यदि अब एक महिला स्वयं अपने शरीर को दिखा कर खुद पैसे कमा रही है तो पुरुष को आपत्ति क्यों हो रही है? क्या वाकई इस सवाल का यही जवाब होना चाहिए?
दोषारोपण करने से पहले स्वयं महिलाओं को समझना होगा कि उन्हें अपना विकास करना है या फिर विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ पुरुष विरोध करना है। इस प्रकार से अभी तक महिला का शोषण पुरुष करता आया था अब उसके साथ-साथ महिला भी महिला का शोषण करने में लग गई है।

7 टिप्‍पणियां:

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  2. वाह ज़नाब मेरी अप्रकाशित पोस्ट पर डाका डाल दिया :-)

    यही सवाल तो मैं भी पूछने वाला था। बहुत क्षोभ होता है कभी कभी

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  3. शायद आपके सभी प्रश्नों के उत्तरयहाँ मिल जाएँ।
    घुघूती बासूती

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  4. कमाल है। ब्लॉगों के हर शब्द पर नज़र रखने वाली, हंगामा खड़ी करने वाली कथित आधुनिक, प्रगतिशील महिलायें इतने सारे सवालों पर चुप्पी साधे बैठी हुयी हैं।

    जवाब तो उन्हीं को देना है।

    कहीं साँप तो नहीं सूंघ गया :-)

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  5. सबसे जरुरी बात हैं की क्या आप और समाज ये मानता हैं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार पुरूष और स्त्री को बराबर हैं ?
    अगर मानता हैं तो स्त्री अपनी बात किस तरह कहे क्या उसको ये किसी से सीखना होगा ।
    हां सीखना होगा अगर उसकी आयु २५ वर्ष से कम हैं क्युकी उसके बाद हमारे पुरातन ग्रंथो मे भी सब को व्यसक अवस्था का माना जाता हैं लेकिन २५ वर्ष की आयु के बाद सब परिपक्व हैं ।

    स्त्री को आप कब तक ये बतायेगे की क्या करना , क्या लिखना उसके लिये सही हैं ??
    एक निह्यात वाहियात पोस्ट पर एक नगन स्त्री का चित्र डाल कर प्रशन किया जाता हैं की महिलायें क्यों स्वयं ही अपना बदन दिखाने में लगीं हैं?
    और उतर आता हैं अभी तक पुरुष महिला के बदन को नग्न रूप में दिखा कर पैसे कमाता रहा। यदि अब एक महिला स्वयं अपने शरीर को दिखा कर खुद पैसे कमा रही है तो पुरुष को आपत्ति क्यों हो रही है?
    उसके बाद वो पोस्ट हटा दी जाती हैं

    उत्तर देखा आपने पर उस उत्तर की वजह से वो नगन चित्र और वो बेहूदा पोस्ट हटाई गयी वो नहीं देखा

    पुरूष किसी भी भाषा मे लिख कर औरतो के प्रति अपनी कुंठा निकल सकता हैं चित्र लगा सकता हैं लेकिन अगर उसी भाषा मे उसका विरोध हो तो पुरूष को ही गवारा नहीं

    ये ही हैं जेंडर बायस जो हमारी मानसकिता मे ठुस ठूस कर भरा हैं ।

    और रह गयी बात साँप सूंघने की तो ये भी आप की ही सोच हैं क्युकी आप को लगता हैं की आप ने ज्ञान जी कुछ भी लिख दिया उसको सब पढ़ने के लिये दौस्डाए आयेगे ।
    डॉ साहिब की पोस्ट पर जवाब इस लिये लिख रही हूँ क्युकी वो निरंतर नारी ब्लोग्पर संवाद करते हैं आप की पोस्ट पर इस लिये नहीं लिखा क्युकी आप संवाद नहीं उपहास करते हैं और आप को समझ ही नहीं हैं की जेंडर बायस क्या होता हैं

    हां वो कमेन्ट मैने दिया और मुझे गर्व हैं की मैने दिया और आगे भी दूंगी जहाँ भी आप लिहएगाए की औरत को ये करना चाहिये ये नहीं क्युकी नारी के पास दिमाग हैं और वो सक्षम हैं आप को जवाब देने के लिये

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  6. aapke swaal ki kyaa jiskae saath balatkaaar hua haen us sstri ko bahu klae rup mae swikaar karna

    THis question it self is ful of gender bais conditioning . Only a man can ask such a insenstive question because this way you are making a woman outcast because she has been raped
    please tell me if your son or some boy close to you commits rpae and you know it will you allow him to get married ??

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  7. apane baaki kae prshno kae uttar aap ko naari blog ki ek saal puraani pos tpar mil jaagege

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