10 अक्टूबर 2025

कार्यकर्त्ता भी खुद को सबल बनाएँ

ध्यान रखना, ये नेरेटिव भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि मोदी-योगी के विरोध में तैयार किया जा रहा है.
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योगी जी की उरई में हुई जनसभा के बाद दो-चार फोटो को केन्द्र में रखते हुए अनेक पोस्ट लिखी जा रही हैं. कुछेक को छोड़कर बाकी पोस्ट में पूर्व पदाधिकारियों की उपेक्षा की बात कही जा रही है.

यहाँ एक बात सबसे पहले भाजपा के ही पूर्व एवं वर्तमान पदाधिकारियों को, साथ ही भाजपा के आनुसंगिक संगठनों के पूर्व एवं वर्तमान पदाधिकारियों को याद रखनी चाहिए चाहिए कि इस जनसभा की स्वीकृति आने वाले दिन से ही इसे जिला प्रशासन का कार्यक्रम बताया जा रहा था. ऐसे में यह भी याद रखना होगा कि प्रशासन और सरकार एक तरह से एक सिक्के के दो पहलू होते हैं. ऐसे में मंच पर सरकार को ही वरीयता मिलनी थी.

एक बात और, जिले में भाजपा के अनेक पूर्व जिलाध्यक्ष है, क्या सबको ही मंच पर स्थान मिला था? यहाँ एक बात उन सभी को ध्यान रखनी चाहिए जो अपने आपको भाजपा का कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्त्ता बताते हैं, निष्ठावान बताते हैं कि किसी भी जिले के किसी भी संगठन में पद गिनी-चुनी संख्या में होते हैं मगर कार्यकर्त्ता लाखों में होते हैं. ऐसे में सभी को पदाधिकारी भी नहीं बनाया जा सकता और हजारों पूर्व पदाधिकारियों को मंच पर स्थान उपलब्ध नहीं कराया जा सकता.

जहाँ तक बात आयातित लोगों की है तो यहाँ भी दोष हम कार्यकर्ताओं का है. किसी भी दल से भाजपा में आने वाले बाहुबली, धनबली का स्वागत ऐसे करते हैं जैसे वह जन्म से ही भाजपा का कार्यकर्त्ता रहा हो. ठीक है कि शीर्ष नेतृत्व ने सत्ता-सुख के लिए, सीटों के लालच में, धन के कारण दूसरे दल से आये व्यक्ति को न केवल भाजपा में शामिल किया बल्कि उसे पद भी दिया, मगर इस स्थिति का भाजपा के सक्रिय, निष्ठावान कार्यकर्ताओं में से कितनों ने विरोध किया? विरोध तो दूर की बात, उस आयातित व्यक्ति का कालपी में यमुना पुल पर जिंदाबाद-जिंदाबाद करते हुए न केवल स्वागत किया बल्कि चौबीस घंटे उसी के इर्द-गिर्द टहलना शुरू कर दिया.

कुछ मिलने की आस में जिस तरह से कार्यकर्ताओं ने भी पलटी मारी है, उसे संगठन के कतिपय स्वार्थी लोगों ने समझा है, परखा है. यही कारण है कि बहुत से सच्चे कार्यकर्त्ता या तो संगठन से दूर हो गए हैं या फिर खुद को निष्क्रिय कर बैठे हैं. जनसभा में उपेक्षा या सादगी वाली बात से ज्यादा इसी तत्त्व ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया है.

ध्यान रखिये कि कोई भी दल हो वह उसके कार्यकर्ताओं से है और इसके लिए कार्यकर्ताओं को भी सशक्त होना पड़ेगा, स्वार्थ-लिप्सा से दूर होना पड़ेगा, शीर्ष पदाधिकारियों के, विधायक-सांसद-मंत्री की चरण-वंदना करने से, परिक्रमा करने से, चाटुकारिता करने से बचना होगा. यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है तो फिर शीर्ष क्रम के, आयातित लोगों के हाथों की कठपुतली बने रहिये, ऐसे ही उपेक्षित होने का रोना रोते रहिये.

30 सितंबर 2025

अंतर्मन का रावण मारें

विजयादशमी का पर्व पूरे जोश-उत्साह के साथ मनाया जाता है. रावण का पुतला जलाया जाता है. सांकेतिक रूप से सन्देश देने के लिए प्रतिवर्ष बुराईअत्याचार के प्रतीक को सत्य और न्याय के प्रतीक के हाथों मरवाया जाता है इसके बाद भी समाज में असत्यहिंसाअत्याचारबुराई बढ़ती जाती है. साल-दर-साल रावण का पुतला फूँकने के बाद भी समाज से न तो बुराई दूर हो सकी और न ही असत्य को हराया जा सका है. देखा जाये तो विजयादशमी का पावन पर्व आज सिर्फ सांकेतिक पर्व बनकर रह गया है. इंसानी बस्तियों में छद्म रावण कोछद्म अत्याचार को समाप्त करके लोग अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं. दरअसल समाज व्यक्तियों का समुच्चय है. व्यक्तियों के बिना समाज का कोई आधार ही नहीं. समाज की समस्त अच्छाइयाँ-बुराइयाँ उसके नागरिकों पर ही निर्भर करती हैं. इसके बाद भी नागरिकों में समाज के प्रति कर्तव्य-बोध जागृत नहीं हो रहा है. समाज के प्रतिसमाज की इकाइयों के प्रतिसमाज के विभिन्न विषयों के प्रति नागरिक-बोध लगातार समाप्त होता जा रहा है. इसी के चलते समाज में विसंगतियाँ तेजी से बढ़ रही हैं. आलम ये है कि नित्य-प्रति एक-दो नहीं सैकड़ों घटनाएँ हमारे सामने आती हैं जो समाज की विसंगतियों को दृष्टिगत करती हैं.

 

प्रत्येक वर्ष पूरे देश में प्रत्येक नगर में, कस्बे में रावण को जलाने का कार्य किया जाता है, इसके बाद भी देश भर में रावण के विविध रूप अपना सिर उठाये घूमते दिखते हैं. कहीं आतंकवाद के रूप में, कहीं हिंसा के रूप में; कहीं जातिवाद के रूप में, कहीं क्षेत्रवाद के रूप में; कहीं भ्रष्टाचार के रूप में, कहीं रिश्वतखोरी के रूप में. यही वे स्थितियाँ हैं जो समझाती हैं कि आत्मा अमर-अजर है. यदि वाकई देह की मौत के साथ-साथ आत्मा की भी मृत्यु हो जाती तो जिस समय राम ने रावण को मारा था उसी समय उसी वास्तविक मौत हो गई होती. वह अपने विविध रूपों के साथ प्रत्येक कालखण्ड में अराजकता की स्थिति को पैदा नहीं कर रहा होता. आत्मा की अमरता के कारण ही रावण प्रत्येक वर्ष अपना रूप बदल कर हमारे सामने आ खड़ा होता है और हम हैं कि विजयादशमी को उसके पुतले को जलाकर इस मृगमारीचिका में प्रसन्न रहते हैं कि हमने रावण को मार गिराया है. वास्तविकता में रावण किसी भी वर्ष मरता नहीं है बल्कि वह तो साल-दर-साल और भी विकराल रूप धारण कर लेता है; साल-दर-साल अपार विध्वंसक शक्तियों को ग्रहण करके अपनी विनाशलीला को फैलाता रहता है.

 



सुनने में बुरा भले लगे मगर कहीं न कहीं हम सभी में किसी न किसी रूप में एक रावण उपस्थित रहता है. इसका मूल कारण ये है कि प्रत्येक इन्सान की मूल प्रवृत्ति पाशविक है. उसे परिवारसमाजसंस्थानों आदि में स्नेहप्रेमभाईचारा आदि सिखाया जाता है जबकि हिंसाअत्याचारबुराई आदि कहीं भी सिखाई नहीं जाती है. ये सब दुर्गुण उसके भीतर जन्म के साथ ही समाहित रहते हैं जो वातावरणपरिस्थिति के अनुसार अपना विस्तार कर लेते हैं. यही कारण है कि इन्सान को इन्सान बनाये रखने के जतन लगातार किये जाते रहते हैंइसके बाद भी वो मौका पड़ते ही अपना पाशविक रूप दिखा ही देता है. कभी परिवार के साथ विद्रोह करकेकभी समाज में उपद्रव करके. कभी अपने सहयोगियों के साथ दुर्व्यवहार करके तो कभी किसी अनजान के साथ धोखाधड़ी करके. यहाँ मंतव्य यह सिद्ध करने का कतई नहीं है कि सभी इन्सान इसी मूल रूप में समाज में विचरण करते रहते हैं वरन ये दर्शाने का है कि बहुतायत इंसानों की मूल फितरत इसी तरह की रहती है.

 

अपनी इसी मूल फितरत के चलते समाज में महिलाओं के साथ छेड़खानी कीबच्चियों के साथ दुराचार कीबुजुर्गों के साथ अत्याचार कीवरिष्ठजनों के साथ अमानवीयता की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं. जरा-जरा सी बात पर धैर्य खोकर एक-दूसरे के साथ हाथापाई कर बैठनाहत्या जैसे जघन्य अपराध का हो जानासामने वाले को नीचा दिखाने के लिए उसके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार कर बैठनास्वार्थ में लिप्त होकर किसी अन्य की संपत्ति पर कब्ज़ा कर लेना आदि इसी का दुष्परिणाम है. ये सब इंसानों के भीतर बसे रावण के चलते है जो अक्सर अपनी दुष्प्रवृतियों के कारण जन्म ले लेता है. अपनी अतृप्त लालसाओं को पूरा करने के लिए गलत रास्तों पर चलने को धकेलता है. यही वो अंदरूनी रावण है जो अकारण किसी और से बदला लेने की कोशिश में लगा रहता है. इसके चलते ही समाज में हिंसाअत्याचारअनाचारअविश्वास का माहौल बना हुआ है. अविश्वास इस कदर कि एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भय लगने लगा है, आपसी रिश्तों में संदिग्ध वातावरण पनपने लगा है.

 

हममें से कोई नहीं चाहता होगा कि समाज मेंपरिवार में अत्याचार-अनाचार बढ़े. इसके बाद भी ये सबकुछ हमारे बीच हो रहा हैहमारे परिवार में हो रहा हैहमारे समाज में हो रहा है. हमारी ही बेटियों के साथ दुराचार हो रहा है. हमारे ही किसी अपने की हत्या की जा रही है. हमारे ही किसी अपने का अपहरण किया जा रहा है. करने वाले भी कहीं न कहीं हम सब हैंहमारे अपने हैं. ऐसे में बेहतर हो कि हम लोग रावण के बाहरी पुतले को मारने के साथ-साथ आंतरिक रावण को भी मारने का काम करें. हमें संकल्प लेना पड़ेगा कि देश में फैले विकृतियों के रावणों को जलाने का, मारने का कार्य करें. अपने आपको चारित्रिक शुचिता की शक्ति से सँवारें ताकि गली-गली, कूचे-कूचे में घूम-टहल रहे रावणों को मार सकें. तब हम वास्तविक समाज का निर्माण कर सकेंगेवास्तविक इन्सान का निर्माण कर सकेंगेवास्तविक रामराज्य की संकल्पना स्थापित कर सकेंगे.


26 सितंबर 2025

उम्र का चक्कर ही समाप्त कर दो


 

अरे साहब, जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती समझ आये तो उसे पूर्णतः स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए.... ठीक वैसे ही जैसे खिलाड़ी मैदान में गिरने के बाद खुद को एकदम फ्री छोड़ देता है....

कानूनी आयु घटाने का सोचने से बेहतर है कि ये उम्र का चक्कर ही समाप्त कर दो... न उम्र, न सोचा-विचारी, बस सम्बन्ध ही सम्बन्ध....

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दैनिक जागरण, कानपुर

25.09.2025


20 सितंबर 2025

सेमीकंडक्टर : भारतीय अर्थव्यवस्था का डिजिटल हीरा

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में सेमीकंडक्टर चिप के बारे में चर्चा करते हुए कहा था कि वर्ष 2025 के अंत तक भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप बाजार में होगी. इसके कुछ दिन बाद ही सेमीकॉन इंडिया 2025 आयोजन में देश की पूरी तरह से स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चिप को पेश किया गया. विक्रम नामक चिप को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की सेमीकंडक्टर लैबोरेट्री (SCL) ने बनाया है. यह 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे पूरी तरह से देश में डिजाइन किया और बनाया गया है. देश की पहली एवं पूर्णतः स्वदेशी चिप को विशेष रूप से अंतरिक्ष मिशनों के लिए तैयार किया गया है. अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपण की कठिन परिस्थितियों को सहने में सक्षम यह चिप -55 डिग्री सेल्सियस से लेकर +125 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम कर सकती है. सेमीकॉन इंडिया 2025 इवेंट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चिप्स को डिजिटल डायमंड के रूप में परिभाषित किया. सेमीकंडक्टर चिप जिसे माइक्रोचिप या इंटीग्रेटेड सर्किट भी कहते हैं. यह एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जो सिलिकॉन का बना होता है. यह अपने छोटे से आकार में लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टर समेटे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित करता है. स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, टेलीविजन, कार, मेडिकल उपकरण, सैटेलाइट, मिसाइल आदि के लिए ये चिप दिमाग की तरह काम करती है.

 



वर्तमान डिजिटल युग में तमाम सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जो आज हमारे जीवन का प्रमुख हिस्सा हैं, इन्हीं सेमीकंडक्टर चिप के सहारे काम करते हैं. जीवन शैली को सहज और सरल बनाने में उपयोगी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में प्रयोग होने वाली चिप का उत्पादन गिने-चुने देशों में ही होता है. ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका इसके उत्पादन के केन्द्र-बिन्दु हैं. भारत को भी इन्हीं देशों पर निर्भर रहते हुए चिप सम्बन्धी माँग को पूरा करने के लिए इनसे आयात करना पड़ता है. आज भले ही गिने-चुने देशों के पास चिप उत्पादन की क्षमता हो मगर सेमीकंडक्टर चिप के आविष्कार, निर्माण की यात्रा वैश्विक स्तरीय रही है. देखा जाये तो सेमीकंडक्टर चिप का इतिहास 1947 में ट्रांजिस्टर के आविष्कार से शुरू हुआ. जब अमेरिका के बेल लैब्स के विलियम शॉकली, वाल्टर ब्रेटेन और जॉन बार्डीन ने जर्मेनियम पर आधारित पहला ट्रांजिस्टर बनाया. इसके बाद 1958 में टेक्सास के जैक किल्बी ने जर्मेनियम का उपयोग करते हुए विश्व के पहले इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का निर्माण किया. इसके कुछ महीनों पश्चात् 1959 में फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर के रॉबर्ट नॉयस ने सिलिकॉन का उपयोग करते हुए इंटीग्रेटेड सर्किट बनाया. इस आविष्कार ने कालांतर में आधुनिक सेमीकंडक्टर चिप निर्माण की राह निर्मित की. जिस आधुनिक चिप का स्वरूप आज हमारे सामने है उसका आधार 1959 में मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (MOSFET) के रूप में बना.  

 

भारतीय सन्दर्भ में यदि सेमीकंडक्टर के इतिहास पर नजर डालें तो अस्सी के दशक के आरम्भ में सेमीकंडक्टर चिप निर्माण हेतु चंडीगढ़ में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (SCL) की स्थापना की गई थी. तकनीकी एवं आर्थिक कारणों से सेमीकंडक्टर चिप निर्माण में अवरोध उत्पन्न होने के कारण लम्बे समय तक देश को इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ा. दूसरे देशों पर निर्भरता की एक लम्बी यात्रा पूरी करने के बाद अपनी पहली पूर्ण स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप विक्रम के निर्माण पश्चात् भारत ने अब अगली जनरेशन की सेमीकंडक्टर तकनीक में कदम रख दिया है. केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16 सितम्बर को बेंगलुरु में एआरएम (ARM) के नए कार्यालय का उद्घाटन किया. यहाँ पर विश्व की सबसे उन्नत किस्म की चिप्स तकनीक पर काम शुरू किया जायेगा. जिनमें एआई सर्वर, ड्रोन और मोबाइल उपकरणों के लिए 2 नैनोमीटर प्रोसेसर शामिल हैं. एआरएम  के नए डिजाइन ऑफिस में 2 नैनोमीटर चिप तकनीक पर काम शुरू होना भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करता है जो हाईटेक चिप बना सकते हैं. यह तकनीक निश्चित रूप से देश को वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम समझी जा सकती है. इससे पहले मई 2025 में नोएडा और बेंगलुरु में 3 नैनोमीटर चिप डिजाइन सेंटर खोले जा चुके हैं.

 

सरकार की पहल पर भारत में सेमीकंडक्टर इंडिया कार्यक्रम का आरम्भ 2021 में हुआ. इसके अंतर्गत 2023 में पहले प्लांट को मंजूरी मिलने के बाद कई अन्य परियोजनाओं को भी मंजूरी मिली. इससे अब तक छह राज्यों में दस परियोजनाएँ प्रगति पथ पर हैं, जिसमें लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. इस मिशन के अंतर्गत 76000 करोड़ रुपये का सरकारी बजट भी निर्धारित कर दिया गया है. देश में ही सेमीकंडक्टर का उत्पादन आरम्भ होने के बाद से भारत में जहाँ बड़े निवेश आकर्षित हुए हैं वहीं स्वदेशी चिप डिज़ाइन कम्पनियों ने भी अपनी रुचि दिखाई है. ये कम्पनियाँ और बहुतेरे स्टार्टअप रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों, अन्तरिक्ष क्षेत्र के लिए विशेष रूप से चिप्स का उत्पादन कर रही हैं. अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी सेमीकंडक्टर चिप निर्माण में वैश्विक संभावनाएँ हैं. इस समय वैश्विक बाजार लगभग 600 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है. ऐसे में भारत के लिए व्यापक अवसर यहाँ उपलब्ध हैं. ऐसी सम्भावना जताई जा रही है कि 2026 तक भारत में इस क्षेत्र में लगभग दस लाख नए रोजगार सृजित किये जाने की उम्मीद है.

 

वर्तमान में ताइवान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, चीन, मलेशिया देश चिप निर्माण करते हैं. अब जबकि भारत ने इस क्षमता को विकसित कर लिया है तो निकट भविष्य में भारतीय इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग को आत्मनिर्भर बनने, वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा करने से कोई नहीं रोक सकता है. देश का स्वदेशी सेमीकंडक्टर सिस्टम भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स, अन्तरिक्ष, स्वास्थ्य, ऊर्जा, रक्षा आदि क्षेत्रों में भारत को विश्व में अग्रिम पंक्ति में खड़ा करेगा.

 


17 सितंबर 2025

हमारा लेखन और बाबा जी की सीख

 कुछ सीखें, बातें ज़िन्दगी भर काम आती हैं. ऐसा कुछ है हमारे साथ बाबा जी की बातों को लेकर. उनका अपने साथ सुबह की सैर पर हम तीनों भाइयों को ले जाना और पूरे रास्ते किसी न किसी कहानी, किसी न किसी दृष्टान्त के माध्यम से जीवन की सच्चाई को समझाना, जीवन में आने वाली समस्याओं से निपटने की सलाह देना. 


अपने बाबा जी के साथ अक्सर अपने लेखन सम्बन्धी चर्चा कर लिया करते थे. बचपने का अपरिपक्व लेखन बाबा जी की अनुभवी आँखों के सामने से गुजरता रहता, इसी कारण वे लेखन की गम्भीरता को देख भी रहे थे. सुबह की अपनी यात्रा के दौरान एक दिन बाबा जी ने हमारे लिखे किसी लेख की चर्चा करते हुए उस लेख के एकदम विपरीत बिन्दुओं पर विमर्श शुरू किया. बाबा जी के कुछ प्रश्नों का उत्तर तो हम दे सके, कुछ में अटक गए. ऐसे में बाबा जी ने हमारे लेख की प्रशंसा करते हुए कहा कि तुम लिखने लगे हो, ऐसे में किसी भी मुद्दे को, विषय को दोनों पक्षों की तरफ से देखो. जरूरी नहीं कि दोनों पक्षों को शामिल करते हुए लिखा जाये मगर दिमाग में दोनों पक्ष रहने चाहिए. 


इसके अलावा और भी बहुत सी बातें बाबा जी द्वारा लेखन के सम्बन्ध में बताई गईं, जो आज भी हमारे लिए मार्गदर्शन का काम करती हैं. बचपने से पड़ी लेखन की आदत आज भी बनी हुई है, बाबा जी द्वारा दोनों पक्षों को विचार करने की बात आज भी कंठस्थ है और इसी का परिणाम है कि किसी भी मुद्दे पर, किसी भी विषय पर बाल की खाल निकालने की हद तक चले जाते हैं. 


आज हमारे बाबा जी की पुण्यतिथि है. उनको सादर चरण स्पर्श... सादर श्रद्धांजलि.