अरे साहब, जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती समझ आये तो
उसे पूर्णतः स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए.... ठीक वैसे ही जैसे खिलाड़ी मैदान में गिरने
के बाद खुद को एकदम फ्री छोड़ देता है....
कानूनी आयु घटाने का
सोचने से बेहतर है कि ये उम्र का चक्कर ही समाप्त कर दो... न उम्र, न सोचा-विचारी, बस सम्बन्ध ही सम्बन्ध....
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दैनिक जागरण,
कानपुर
25.09.2025
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