30 मई 2024

ईवीएम पर निराधार आरोप

लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में है, आखिरी चरण का मतदान अभी शेष है. अंतिम चरण के मतदान वाले दिन से ही चुनाव परिणामों पर बहस शुरू हो जाएगी. तमाम सारे दावे, चुनावी विश्लेषण, राजनैतिक दलों के गणित अपने-अपने दल के प्रति भविष्यवाणी सी करते नजर आयेंगे. अंतिम परिणाम तो चार जून सामने आएगा. यह तो सभी जान-समझ रहे हैं कि चार जून के परिणाम के आते ही ईवीएम पर संकट आने वाला है, उसकी अस्मिता को कलंकित किया जाने लगेगा. यह कोई पहला चुनाव नहीं है जिसमें कि इस तरह से कोई बात उठेगी, लगभग सभी चुनावों में और विशेष रूप से उन चुनावों में जिसमें भाजपा विरोधी दलों को हार का सामना करना पड़ा, उसमें ईवीएम को सिर्फ और सिर्फ हैक करके ही चुनाव परिणाम बनाये जाने का आरोप लगाया जाता रहा है.




इस चुनाव में अंतिम चरण के आने के पहले ही संभवतः विपक्ष को अपने परिणाम के बारे में भनक लगने लगी है. इसी कारण अंतिम परिणाम आने के पहले ही ईवीएम के प्रति संदेह व्यक्त करना शुरू कर दिया गया है. यह कितने आश्चर्य की बात है कि सभी राजनैतिक दल और उनके नेतागण ईवीएम की वास्तविकता को भली-भांति जानते-समझते हैं, इसके बाद भी अनर्गल बातें जनता के बीच प्रसारित की जाती हैं. राजनैतिक व्यक्तित्वों को समझना चाहिए कि उनके द्वारा जनता को भ्रमित किया जाना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. यदि उनको लगता है कि वाकई ईवीएम को हैक किया जा सकता है तो उन सभी जगहों से अपनी सरकारों को वापस ले लेना चाहिए जहाँ वे इसी ईवीएम के द्वारा जीत कर सत्ता में हैं. इसके अलावा जब तक निर्वाचन आयोग द्वारा उनके संशय को दूर नहीं किया जाता है तब तक वे सभी नेता ईवीएम के माध्यम से होने वाले चुनावों में भाग नहीं लें.


असल में विगत कुछ वर्षों से मोदी जी के आभामंडल के कारण भाजपा विरोधियों को जीत बड़ी मुश्किल से नसीब हो रही है. अनेकानेक हथकंडे अपनाये जाने के बाद भी वे लोग भाजपा को, मोदी को पराजित नहीं कर पा रहे हैं. इसी के चलते उन सभी में खीझ पैदा हो चुकी है. इसको वे ईवीएम पर निकाल कर अपने आपको संतुष्टि दे रहे हैं, साथ ही जनता को, मतदाताओं को भ्रमित करने में लगे हैं. लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इस तरह का भ्रम, झूठ फैलाया जाना उचित नहीं.


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