04 मई 2022

पारिवारिक एकजुटता की खुशियाँ

परिवार में कोई आयोजन हो और यदि सभी परिजन शामिल हों तो उस आयोजन में और भी अधिक मजा आता है. ऐसी सुखद अनुभूति का अवसर आया गृह प्रवेश के दौरान जबकि सभी लोग वहाँ उपस्थित हुए. ये पारिवारिक एकजुटता का प्रतीक ही कहा जायेगा कि सुख-दुःख में सभी सदस्य एकसाथ दिखाई देते हैं. आज जब समाज में तमाम सारी विसंगतियों को देखते हैं वैसे समय में अपनी पारिवारिक एकजुटता पर गर्व होता है. मन कामना करता है कि इसे कभी किसी की नजर न लगे.


वर्तमान दौर इस तरह का बनता जा रहा है जबकि व्यक्ति आपस में तालमेल बनाकर नहीं रहना चाहता है. परिवार के चार सदस्यों के बीच जरा-जरा सी बात पर मनमुटाव हो जाता है, उनके बीच वैमनष्यता आ जाती है. आवश्यकता होती है आपस में समन्वय बनाने की, एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करने की, उनको आदर देने की. हम में से बहुत से लोग ऐसा करने में चूक जाते हैं. हम में से बहुतायत लोग चाहते हैं कि उनको सम्मान मिले, उनकी बातों को अहमियत दी जाये मगर जब दूसरों के लिए ऐसा करने की बारी आती है तो वही लोग पीछे हट जाते हैं. यही वह स्थिति होती है जबकि मनमुटाव आने लगता है.


बहरहाल, समाज की अपनी गति, अपनी दिशा है. यहाँ सबकुछ नियंत्रित होते हुए भी लगता है कि अनियंत्रित है. सबके साथ माहौल एक जैसा नहीं रहता. एक जैसा माहौल सभी को नहीं मिलता. पारिवारिक एकजुटता के इस हँसी-ख़ुशी के अवसर पर छोटे भाई मिंटू की कमी भी महसूस हुई. आँखों में ख़ुशी की झलक के साथ इस दर्द की नमी भी बराबर तैरती रही. ज़िन्दगी का शायद यही ढंग है और इसे स्वीकारना ही पड़ता है, चाहे वो अनमने रूप में ही क्यों न हो.










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