आजादी का अमृत
महोत्सव कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला सरकारी स्तर पर जारी की गई है. इस
कार्ययोजना में 09 अप्रैल 2022 से लेकर 29 अगस्त 2023 तक के कार्यक्रमों की सूची भी शासन स्तर से जारी
की गई है. आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के अंतर्गत महापुरुषों एवं
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथाओं के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण दिवसों पर
भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है. एक वर्ष से अधिक की उक्त समयावधि में कुल 116
कार्यक्रमों का आयोजन उच्च शिक्षण
संस्थानों में किया जाना है. देश से जुड़ी भावना के सन्दर्भ में इस तरह के आयोजनों
का सतत रूप से होना अच्छी बात है. अपनी आजादी को याद करना, उस पर गौरवान्वित होना, स्वतंत्रता
सेनानियों और महापुरुषों के प्रति सम्मान व्यक्त करना आवश्यक भी है, ख़ुशी देने वाला है. यदि इसी ख़ुशी के सापेक्ष
देखा जाये तो उक्त कार्यक्रमों की विस्तृत कार्ययोजना में बहुतायत समय इनके आयोजन
में ही निकलने वाला है.
सरकार एक तरफ
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के
सुचारू क्रियान्वयन के लिए इस वर्ष ग्रीष्मावकाश को समाप्त करने का निर्णय सा ले
चुकी है, दूसरी तरफ कार्यक्रमों की विस्तृत
श्रृंखला जारी करके अध्यापन कार्य को ही बाधित करने जैसा कदम उठा रही है. आजादी का
अमृत महोत्सव जैसी ख़ुशी और गर्व करने वाले आयोजन की सार्थकता उस समय और अधिक होती
जबकि ये आयोजन माह में एक अथवा दो किये जाते. सामान्य रूप में भी एक कार्यक्रम
करवाने में सभी तरह के संसाधनों को जुटाने और कार्यक्रम के समापन तक लगभग दो घंटे
खर्च होते हैं. इसके साथ-साथ ऐसा तो होता नहीं है कि अकेले संयोजक और कुछ बच्चे ही
इसमें शामिल हों. अनेक विद्यार्थी शामिल होते हैं, कई शिक्षक शामिल होते हैं. ऐसे में अनेक विषयों का अध्यापन कार्य प्रभावित
होता है.
शासन को इस
दिशा में पुनः विचार किया जाना चाहिए. नोडल अधिकारियों को सम्बंधित दिशा-निर्देश
देते हुए एक माह में दो कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति देनी चाहिए. इससे एक तरफ
आजादी का अमृत महोत्सव का आयोजन भी होता रहेगा, दूसरी तरफ अध्यापन कार्य भी चलता रहेगा. इसी में कार्यक्रम की सार्थकता भी
है.
आपकी बात से सहमत। कार्यक्रम ऐसे रखे जाएँ कि शिक्षा भी सुचारू रूप से चलती रहे और महोत्सव भी मन सके।
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