सितम्बर माह का भी समापन होने को है। इस साल के नौ महीने बीत जायेंगे कुछ घंटों बाद। वर्ष 2020 खतरनाक आहट के साथ आया था और वर्ष 2021 ने खतरनाक रूप दिखाया भी। इस खतरनाक रूप को गुजरे अभी कुछ महीने ही बीते हैं मगर ऐसा लगता है कि जैसे लोग सबकुछ भूल चुके हैं। याद करिए पिछले वर्ष 2020 को अगस्त सितम्बर से सबकुछ सामान्य होने लगा था। इस सामान्य होती दिनचर्या को तगड़ा झटका इस साल लगा। अचानक से भयावहता दिखने लगी। एकदम से ऑक्सीजन की कमी होने लगी। भयावह तरीके से मौतों की संख्या बढ़ने लगी।
रुकिए, रुक कर सोचिए, विचार करिए कि क्या ये सब महज एक बीमारी के कारण हुआ? फिर सोचिए कि इस साल के आरम्भ में वैक्सीनेशन भी शुरू हो गया था। सबकुछ सामान्य था फिर एकदम से ये भयावह रूप? मानवजनित बीमारी के बाद क्या ये सम्भव नहीं कि मानवजनित माहौल बना दिया गया हो, लोगों के मरने के लिए? क्या ये सम्भव नहीं कि जानबूझकर ऑक्सीजन की कमी कर दी गई हो? चिकित्सकों की लापरवाही तो हमने व्यक्तिगत स्तर पर देखी, अनुभव की थी। बहरहाल, जो हुआ सो हुआ पर अब क्या करना है? क्या अब तीसरी लहर के रूप में एक और साजिश का, एक और मानवजनित माहौल का सामना करना है?
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