एक सफर सात साल के अंतराल वाला मगर अधूरा-अधूरा। 2014 का आरम्भ था वो जब ग्वालियर आना हुआ था तुम लोगों के पास, अब 2021 का मध्य है जब इंदौर आना हो रहा तुम लोगों के पास। उस समय खुशी थी, उत्साह था आने का और इस बार उदासी है, खालीपन है। इस बार सब हैं बस एक तुम नहीं हो। बिना तुम्हारे, तुम्हारे पास आना उदास भी किए है, दुखी भी किए है।
सब समय है, यही सोचकर चलना है, आगे बढ़ना है। तुम्हारे बिन ही तुम्हारे साथ रहना है।
मिंटू, अब तुम्हारे बिन ही तुम्हारे पास आना हुआ करेगा।
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