जुलाई माह को वे लोग बहुत अच्छी तरह से याद रखते होंगे जो लोग पत्र लेखन का शौक रखते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसी माह के अंतिम दिन को विश्व पत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. पत्रों का भी अपना एक मजेदार संसार होता है. इनके सहारे पुराने दिनों की सैर की जा सकती है, बहुत से उन पलों में गोते लगाये जा सकते हैं जो अब बस यादें ही हैं. पत्र का लिखना एक गज़ब का शौक है. वर्तमान पीढ़ी, जो तकनीक की रफ़्तार में, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की भीड़ में इस सुख से वंचित है, इस शौक का स्वाद लेना नहीं जानती है. इसमें किसी भी रूप में वर्तमान पीढ़ी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि उसने आँखें खोलते ही अपने आसपास इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का मेला लगा देखा है. तेज रफ़्तार ज़िन्दगी को देखा है. ई-मेल, सोशल मीडिया मंचों को देखा है. इन सबके बीच वह पत्र लेखन जैसे शौक को पैदा करेगी, संभव नहीं लगता. एक क्लिक पर संदेशों के दूर देशों तक पहुँच जाने जैसी सेवाओं के बीच कौन कई-कई दिनों तक पत्रों का इंतजार करेगा?
आज तकनीक ने भले ही संदेशों को, खबरों को, जानकारियों को एक क्लिक कर इधर से उधर पहुँचा दिया हो मगर जो मजा पत्रों के पढ़ने में आता है, जो सुख पुराने संगृहीत पत्रों को पुनः पढ़ने में मिलता है वह ई-मेल के संदेशों में नहीं है. पत्र लिखने का अपना सुख हुआ करता है तो पत्रों का पढ़ा जाना भी असीम आनंद देता है. पुराने पत्रों को पढ़ने में सुकून मिलता है. हम अपने पत्र लेखन के शौक के चलते दशकों पुराने पत्र अपने खजाने में आज भी सुरक्षित रखे हैं. दोस्तों के पत्र, रिश्तेदारों के पत्र, भाईयों-बहिनों के पत्र, शुभचिंतकों के पत्र समय-समय पर हमारे आसपास खुशबू बिखेरते रहते हैं.
कुछ सामान्य से पत्र हैं जो
किसी न किसी विशेष वजह से सुरक्षित हैं, कुछ पत्र व्यक्ति-विशेष
के कारण सुरक्षित हैं तो कुछ पत्र असामान्य होने के कारण, विशेष
होने के कारण भी सुरक्षित रखे हुए हैं. विगत दो-तीन दिनों से इन्हीं पत्रों के द्वारा
अतीत की सैर की जा रही है. ऐसे लोगों से मिला जा रहा है जिनसे मिलना अब संभव भी नहीं.
ऐसे लोगों से भी मुलाकात की जा रही है जिनसे मुलाकात शायद वाली स्थिति में है. पत्रों
की इस दुनिया में कई बार सुखद स्थिति सामने आती है तो कई बार विषम स्थिति भी सामने
आ जाती है. कई बार खिलखिलाने का मन करता है तो कई बार अपने आप ही आँसू बहने लगते हैं.
संबंधों का, रिश्तों का निर्वहन देखने को मिलता है, अपनेपन का एहसास दिखाई देता है. किसी के साथ का झगड़ा याद आया, किसी के साथ की अनौपचारिकता सामने आई, किसी के साथ आप
से तुम तक आ जाने अधिकार दिखाई दिया, किसी के साथ बड़प्पन का भाव
मुस्कुराया.
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