04 जुलाई 2021

हरहाल में खुश रहने की कला ही जीवन है

हमारी सकारात्मकता हमें लगातार आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। ऐसी ही एक प्रेरणा देने वाली कहानी सोशल मीडिया के माध्यम से पढ़ने को मिली। इसे पढ़ कर लगा कि ज़िन्दगी में परेशानियाँ, कठिनाइयाँ भले ही कितनी ही बनीं रहें पर यदि व्यक्ति सकारात्मक रूप से उनको देखे तो उनके पीछे से भी खुश रहने का अवसर निकल आता है। आप भी पढ़ें उस कहानी को और प्रयास करें प्रसन्न रहने का।


कहानी कुछ इस तरह है कि एक महिला की आदत थी कि वह रात को सोने से पहले अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर लिख लिया करती थी।


हर रात वह कुछ न कुछ सकारात्मक ही लिखती थी। उसके विभिन्न रातों में लिखे गये नोट्स, जो सकारात्मक हैं, कुछ इस तरह से हैं। 

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मैं खुश हूँ कि मेरा पति पूरी रात ज़ोरदार खर्राटे लेता है। इससे एहसास भरता है कि वह ज़िंदा है और मेरे पास ही है। भले ही उसकी खर्राटो की आवाज़ मुझें सोने नहीं देती पर उसके मेरे पास होने का एहसास मुझे खुशी देता है। ये भगवान का शुक्र है मेरे प्रति।


मैं खुश हूँ कि मेरा बेटा सुबह सवेरे इस बात पर झगड़ता है कि रात भर मच्छर सोने नहीं देते। इसका अर्थ है कि वह रात घर पर गुज़ारता है, आवारागर्दी नहीं करता है। इस पर भी भगवान का शुक्र है। 


मैं खुश हूँ कि हर महीना बिजली, गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है। स्पष्ट है कि ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं। अगर ये ना होतीं तो ज़िन्दगी मुश्किल हो सकती। इस पर भी भगवान का शुक्र है।


मैं खुश हूँ कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है। मतलब साफ है कि मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ ऊपर वाले के आशीर्वाद से है।


मैं खुश हूँ कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोंछा करना पड़ता है और दरवाज़े-खिड़कियों को साफ करना पड़ता है। इस पर भी ईश्वर का शुक्र है कि मेरे पास घर तो है। जिनके पास छत नहीं उनका क्या हाल होता होगा? इस पर भी भगवान का शुक्र है।


मैं खुश हूँ कि कभी कभार थोड़ी बीमार हो जाती हूँ। यह बताता है कि मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूँ। इसके लिए भी भगवान का शुक्र है।


मैं खुश हूँ कि हर साल दिवाली पर उपहार देने में पर्स ख़ाली हो जाता है। यह दर्शाता है कि मेरे पास चाहने वाले मेरे अज़ीज़ रिश्तेदार, दोस्त हैं जिन्हें मैं उपहार दे सकूँ। अगर ये ना हों तो ज़िन्दगी कितनी बे रौनक हो जाती। इस पर भी भगवान का शुक्र है।


मैं खुश हूँ कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर उठ जाती हूँ। स्पष्ट है कि मुझे हर रोज़ एक नई सुबह देखना नसीब होती है। ज़ाहिर है ये भी भगवान का ही करम है।

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हमारा मानना है कि जीने के इस फॉर्मूले पर चलते हुए हम सभी को अपनी और अपने से जुड़े सभी लोगों की ज़िंदगी संतोषपूर्ण बनानी चाहिए। छोटी-छोटी परेशानियों में खुशियों की तलाश करके जीवन की गति बनाए रखनी चाहिए। किसी भी परेशानी, समस्या, दुख में घिरे रहकर खुद को दुखी, परेशान रखना उचित कदम नहीं। 

खुश रहने का अंदाज़ औऱ हरहाल में खुश रहने की कला ही जीवन है।

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