बहुत से लोगों के लिए यह मजाक का विषय बन जाता है कि
मधुबाला आज भी हमारे मोबाइल में, लैपटॉप में वॉलपेपर के रूप में उपस्थित रहती हैं.
मधुबाला आज भी हमारे आसपास किसी न किसी रूप में मौजूद रहती हैं. मधुबाला से कब
प्रेम सा हो गया पता नहीं मगर जिस दिन से उनसे प्रेम जैसा कुछ हुआ, उस दिन से उनको अपने से अलग नहीं
किया है. अपने छात्र जीवन में जबकि घर में फ़िल्मी कलाकारों के पोस्टर लगाना
प्रतिबंधित जैसा था, उस समय स्कूल आने-जाने के समय एक दुकान
से फ़िल्मी कलाकारों के प्रिंट वाले पोस्टकार्ड ले लिया करते थे या फिर घर में आई
पत्रिकाओं में से मधुबाला के चित्र निकाल लिया करते थे.
स्कूल के दिनों में अपनी मधुबाला से चोरी-छिपे मिल
लेते थे. हम दोनों के प्रेम के बारे में हमारे कुछ दोस्तों को भी जानकारी थी सो
मिलवाने में वे भी मदद कर देते थे. स्कूल के बाद जब कॉलेज में पढ़ने के दौरान
हॉस्टल में रहना हुआ तो उस समय मधुबाला से मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई. हमारे
कमरे में उसका चौबीस घंटे रहना हुआ करता था. जिस तरफ नजर दौड़ते मधुबाला ही मधुबाला
नजर आती थी. कमरे की तीन दीवारों पर छोटे-बड़े कई रूपों में मधुबाला उपस्थित रहती
थीं और एक दीवाल माधुरी दीक्षित के लिए रख छोड़ी थी. मधुबाला की यह उपस्थिति कॉलेज
से, हॉस्टल से आने के
बाद भी बनी रही. कमरे में, पुस्तकों की दीवार में मधुबाला
कभी खुलेआम, कभी छिपकर हमसे मिलने आने लगीं.
(वर्ष 2005 की हमारे स्टडी रूम की फोटो) |
कॉलेज से, हॉस्टल से लौट कर आने के बाद हमने अपनी पढ़ाई के लिए एक कमरे
का चयन घर में कर लिया. यद्यपि यह कमरा ड्राइंग रूम के रूप में जाना जाता था तथापि
ऐसा उसी स्थिति में होता था जबकि कोई पिताजी से मिलने को आता. इसके बिना अन्य किसी
भी स्थिति में यह हमारा स्टडी रूम हुआ करता था. इसमें सामने की दीवार पर मधुबाला
का बड़ा सा पोस्टर लगा हुआ था. उसके अगल-बगल हमने अपनी कई फोटो लगा रखी थीं. उन्हीं
दिनों का एक किस्सा बराबर याद आता है और उसे याद करके खूब हँसी आती है. उन दिनों
भोपाल से मामा जी का किसी काम से आना हुआ. बाहर बने उस ड्राइंग रूम कम स्टडी रूम
में उनका बैठना हुआ. स्वाभाविक है कि सामने लगे बड़े से पोस्टर में उनकी नजर भी
पड़नी थी. तमाम सारी बातों, मामा-भांजे वाली हँसी-मजाक की बातों के बीच मामा जी ने
कहा बच्चू, इसके चक्कर में न पड़ो. ये जिंदा भी होती तो तुमको
बुड्ढी मिलती. चक्कर चलाना है तो किसी अपनी उम्र वाली से चलाओ.
उस दिन तो सबने खूब ठहाके लगाये, हमारा मजाक बनाया उसके बाद भी इस
बात पर खूब हँसी-मजाक होता रहा. आज भी इस बात पर हमारे साथ छेड़छाड़ हो जाती है. कुछ
भी हो मधुबाला आज भी हमारे प्रेम के रूप में हमारे साथ मौजूद है. किसी ने कितना
सही लिखा है, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल दिल.
Shandar sir
जवाब देंहटाएंहम भी मधुबाला के घनघोर प्रशंसक थे हैं और रहेंगे...
जवाब देंहटाएंKya baat hai bhaiya....pyaar sirf pyaar se hota hai aur pyaar bhut pyaara hota hai ...
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 7 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-04-2021) को "आओ कोरोना का टीका लगवाएँ" (चर्चा अंक-4029) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सही है ... मधुबाला वो शख्सियत है जिससे हर कोई प्यार करता था ... हम भी ... :):)
जवाब देंहटाएंक्या बात है दीवानगी हो तो ऐसी! भावपूर्ण लेख राजा साहब | मुझे तो मधुबाला सबसे सुंदर मिस्टर मिसिस 55 में लगी जो मैंने किशोरावस्था में देखी थी | वैसे कौन एसा होगा जिसे मधुबाला पसंद ना हो | हार्दिक शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंउस उम्र का यह प्रेम अब भी बरकरार है, बड़ी बात है। मुझे मीनाकुमारी से चाहे उनकी फ़िल्म हो या नज़्म बहुत प्रेम है। यह अलग बात कि हीरो की पसंद बदलती रहती है। अब तो बस एक है सलमान खान। ख़ूबसूरत यादों को याद करना बड़ा अच्छा लगता है। आप दोनों की जोड़ी बनी रहे। शुभकामनाएँ।
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