25 दिसंबर 2020

सादगी की प्रतिमूर्ति अटल जी

उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे. वहीं शिन्दे की छावनी में 25 दिसंबर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था. पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी और ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे. पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए. महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति विजय पताका पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी. अटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में महारानी लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई. छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने.

 

कानपुर के डी०ए०वी० कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल-एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की. पिता-पुत्र की जोड़ी के एकसाथ पढ़ाई करने, परीक्षा देने का यह अनुकरणीय उदाहरण खूब चर्चा में रहा. बाद में अपनी यह पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वे पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये. डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे.

 



अटल जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे. सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा परन्तु सफलता नहीं मिली. बाद में सन् 1957 में बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे. सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे. मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी. सन 1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की. 1980 में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व अटल जी को सौंपा गया. वे लोकसभा के अतिरिक्त दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए. लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1996 में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली. पहली बार उनकी सरकार महज 13 दिन तक रह सकी. कालांतर में तेरह महीने और फिर पूरे पाँच वर्ष के लिए दो बार वे फिर प्रधानमंत्री बने. गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पाँच वर्ष तक सरकार चलाई. सर्वोन्मुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

 

आज अटल जी के जन्मदिन पर उनको सादर श्रद्धांजलि.


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वंदेमातरम्

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