06 अप्रैल 2020

नमन आपके चरणों में

रिश्तों के निर्वहन के लिए रक्त-सम्बन्धी होना अनिवार्य या आवश्यक नहीं. ये विशुद्ध भावनात्मक पहलू है और इसी के चलते रिश्तों में गरिमा, उष्णता बनी रहती है. रिश्ते एक तरफ भावनात्मक मजबूती प्रदान करते हैं तो दूसरी तरफ भावनात्मक रूप से कमजोर भी करते हैं. यह कमजोरी उस समय प्रमुखता से सामने आती है जबकि हम अपने किसी रिश्ते के समाप्त होने के, उसके ख़त्म होने के दौर से गुजर रहे होते हैं. यह कमजोरी ही दुःख, करुणा, आँसू को जन्म देती है.



ऐसे ही दुःख, आँसूओं से सामना आज करना पड़ा. हमारा जुड़ाव भावनात्मक रूप से परिवार के ही अंग स्वरूप कई परिवारों के साथ है, जहाँ से पारिवारिक सदस्य की भांति ही पहचान मिलती है. इसमें अचानक से उस समय आघात लगा जबकि मित्र स्वरूप छोटे भाई सुभाष का फोन आया. आवाज की कम्पन आभास करवा रही थी कि खबर दुखद ही है. हुआ भी वही. खबर मिली माता जी के हम सबको छोड़कर चले जाने की. खबर तो दुखद तो थी ही साथ ही एक तरह की क्षति की तरफ भी इशारा कर रही थी.

जो क्षति हो चुकी थी, उसकी भरपाई किसी भी रूप में नहीं की जा सकती थी. प्रकृति के, परमशक्ति के इस कदम को, निर्णय को भारी मन से स्वीकारना ही था. स्वीकारना ही था कि माँ रूप में जिनका स्नेह, आशीर्वाद सदैव मिलता रहा, उनसे मिलना अब नहीं हो सकेगा. उनको देख पाना भी अब संभव नहीं.

उनके चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि.


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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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