14 फ़रवरी 2020

एक-दूजे के हमसफ़र बने नेत्रहीन दिव्यांग

14 फरवरी, समाज में बहुतायत लोगों के लिए वेलेंटाइन डे का परिचायक बना हुआ है. वेलेंटाइन के बारे में बिना जाने-समझे विपरीत-लिंगी एक-दूसरे को लुभाने में लगे हुए हैं. बहरहाल, समाज में सबकी अपनी स्वतंत्र सोच है, अपना स्वतंत्र अस्तित्व है जो कुछ भी मानने, मनाने के लिए मुक्त है. इसी दिन वर्ष 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले में देश ने अपने अनमोल नगीने सदा-सदा को खो दिए थे. अनेक परिवारों के चिराग हमेशा-हमेशा को खामोश हो गए थे. आज का दिन बहुत से लोग उनको याद करते हुए मनाने में व्यस्त हैं. यह भी व्यक्ति की अपनी स्वतंत्रता, अपनी इच्छा के कारण ही है. वैसे भी हरेक दिन किसी न किसी के लिए बुरा होता है, किसी के लिए अच्छा. कोई दिन विशेष को सुख के लिए सदैव याद रखता है तो कोई उस दिन विशेष के दुःख में सदैव आंसू बहाता रहता है. आज जब लोग कहीं पुलवामा के शहीदों को याद करते हुए उनको नमन कर रहे थे, कहीं-कहीं लोग वेलेंटाइन के नाम पर प्रेम की तलाश में भटक रहे थे उसी समय उरई शहर के हुलकी माता मंदिर में दो इंसान दाम्पत्य जीवन में प्रवेश कर रहे थे, एक नई राह पर चलते हुए नवजीवन का आधार निर्मित कर रहे थे. 



दाम्पत्य जीवन में तो रोज ही अनेक लोग बँधते हैं, नित्य ही अनेक लोग नवजीवन का आरम्भ करते हैं मगर आज इस वैवाहिक आयोजन के अपने ही मायने थे. मंदिर प्रांगण की पावनता के बीच संपन्न होने वाले वैवाहिक आयोजन में स्वतः ही एक तरह की पावनता, मधुरता झलक रही थी. दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करने वाले दोनों इंसान दुनिया को बजाय देखने के महसूस करते हैं, उसका एहसास करते हैं. जी हाँ, उरई शहर में संचालित होने वाले अंध-विद्यालय के नेत्रहीन शिक्षक तेजपाल आज विवाह के बंधन में बंधे. सुजाता उनकी जीवन-संगिनी बनी जो वर्तमान में तकनीकी शिक्षा में अध्ययनरत हैं. इसे संयोग कहा जाये या कुछ और कि सुजाता भी तेजपाल की तरह ही दुनिया को देखने के स्थान पर महसूस करती हैं. सुजाता का परिवार मध्य प्रदेश के जबलपुर में निवास करता है, जिनका मूल कार्य मजदूरी करना है. तकनीकी शिक्षा के अध्ययन के दौरान सुजाता की मित्रता अपनी ही तरह एक नेत्रहीन नीता से हुई जिसके द्वारा उनकी राह उरई में निवास कर रहे तेजपाल तक चली आई. असल में नीता का विवाह विगत वर्ष मई में नेत्रहीन शिक्षक रामसूरत के साथ हुआ. रामसूरत और तेजपाल एकसाथ अध्ययन करते रहे हैं और उरई ने अंध-विद्यालय में एकसाथ रहे भी हैं. मित्रता का ध्रुव बजाय एकपक्षीय रहने के द्विपक्षीय रहा. उधर सुजाता और नीता मित्र थीं इधर तेजपाल और रामसूरत मित्र थे. दोनों के प्रयासों से दोनों परिवार मिले और बात अंततः विवाह पर आकर संपन्न हुई.




उरई के हुलकी माता मंदिर के प्रांगण में दिन में गायत्री परिवार के रीति-रिवाजों के साथ तेजपाल और सुजाता का विवाह संपन्न हुआ. इस विवाह में न केवल दोनों के परिजन शामिल हुए वरन अंध-विद्यालय के बच्चे, शिक्षक, कर्मचारी सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक और प्रशासनिक अधिकारियों में सर्वसुलभ और अत्यंत सहज-सरल अपर जिलाधिकारी भी शामिल हुए. एक विशेष बात यह भी रही कि वर्तमान में अमेठी में कार्यरत रामसूरत और उनकी पत्नी नीता भी अपने मित्रों के वैवाहिक समारोह में सम्मिलित होने अपने परिजनों संग उपस्थित हुए. तेजपाल और सुजाता की भावी राह सुखमय रहे यही कामना है.



बाँए से - गणेश शंकर त्रिपाठी, नीता, रामसूरत (पति-पत्नी), कुमारेन्द्र 

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