16 जनवरी 2020

शबनमी ख्वाब का एहसास


मोबाइल के तेज अलार्म को खामोश करके हम आराम से चादर तानकर लेटे रहे। कुछ देर बाद दरवाजे पर आहट हुई। लगा कि दोस्त घूम-टहल कर वापस आ गया है, सो लेटे-लेटे ही सवाल दागा। उधर से कोई जवाब नहीं मिला मगर पलंग पर किसी के बैठने का एहसास हुआ। चादर के कोने से उस तरफ मुँह घुमाते ही हमारी चीख निकल गई। पलंग पर वही रहस्यमयी स्वभाव वाली लड़की बैठी मुस्कुरा रही थी, जो ट्रेन यात्रा में लगातार साथ रही। नींद, आलस, पैर का दर्द एकदम गायब। इन सबके स्थान पर कई सारे सवाल उग आये जो उस लड़की की तरफ उछाल दिए।

आप परेशान न होइए। मैं ऊपर वाले रूम में रुकी हूँ। अभी नीचे उतरते समय आपका दरवाजा खुला देखा तो सोचा कि आप लोगों से मुलाकात कर लूँ। उसने बिना किसी लागलपेट के सीधे-सपाट शब्दों में बताया। मैं मुँह खोले उसे निहार रहा था। ट्रेन की तरह अब उसके चेहरे पर ख़ामोशी नहीं थी। आँखों में काजलयुक्त चंचलता, होंठों पर सुर्ख रहस्यमयी मुस्कान, गालों पर स्वर्गिक लालिमा स्पष्ट दिख रही थी।

चलिए सनराइज देखने चलते हैं। उसकी आवाज़ में खनक थी, हावभाव में प्रफुल्लता। हमने बिना कुछ कहे अपना सूजन भरा पैर उसके सामने कर दिया। मुझे मालूम है, कल शाम आप व्यू टावर के पास फिसल गए थे, पत्थरों पर। आँखें आश्चर्य से फ़ैल गईं। वही डर जो ट्रेन में उपजा था, उस लड़की के आपराधिक चरित्र के होने को लेकर। कहीं ऐसा न हो कि इसके साथी आसपास छिपे हों और मौका पाकर हमला कर दें? सनराइज देखने के बहाने लूटपाट करने का इरादा तो नहीं इसका? अपने आपको संयमित कर, पैर की चोट का हवाला देते हुए उसके साथ जाने से मना किया।

तभी उस लड़की ने पर्स से एक शीशी निकाल कर अपनी हथेली में दो-चार बूँदें डाली और बिना कुछ कहे चोट की जगह मालिश करनी शुरू कर दी। बर्फ जैसी ठंडक से चौंकना लाजिमी था। किसी लड़की के द्वारा पैर छूना खुद की सामाजिकता में न होने के कारण झटके से पैर हटा लिया।


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इसके बाद क्या हुआ? कौन थी वो लड़की? क्या हुआ उस लड़के के साथ? क्यों वह उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी? क्या वह आपराधिक प्रवृत्ति की थी? 

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