30 दिसंबर 2019

वर्ष 2019 में असफलताएँ ज्यादा आईं हमारे हिस्से में


दिसम्बर अपनी अंतिम अवस्था में है, ये साल भी अपनी अंतिम स्थिति में है. यही एक अवसर सभी की ज़िन्दगी में ऐसा होता है जबकि वह जाने वाले के लिए दुखी नहीं होता है बल्कि आने वाले के लिए ख़ुशी मनाता है. देश भर में सभी लोग आने वाले साल के स्वागत में जुट जाते हैं बिना इसकी परवाह किये कि जाने वाला साल पूरे साल, पूरे 365 दिन उसके साथ रहा. ऐसा क्यों? क्या जाने वाले के साथ हम सभी का क्षणिक नाता हो गया है, इसलिए? क्या जाने वाले को हम महज चंद पलों के लिए याद करना चाहते हैं, इसलिए? क्या हम यह सम्भावना तलाशने लगे हैं कि हर आने वाला हमारे जीवन में कुछ नया लेकर आएगा? जिस वर्ष को, जिस पल को हमने अभी देखा नहीं; वह हमारे लिए क्या-क्या लेकर आने वाला है; वह अपने साथ हमारे हितार्थ कौन-कौन सी सम्भावनाएं छिपाए हुए है ये हमें कुछ भी ज्ञात नहीं मगर हम सब उसके स्वागत में तत्पर हैं. क्यों?


बहरहाल, किसी भी साल के आने पर ऐसा ही होता है. कौन सा ऐसा पहली बार हो रहा है. ऐसा प्रत्येक वर्ष होता आया है, आगे भी होता रहेगा. न हमारे रोके रुकना है, न हमारे रोके रुकेगा. ऐसा अकेले अंग्रेजी नववर्ष के समय ही नहीं होता है वरन हिन्दू नववर्ष के आगमन पर भी होता है. दरअसल सामाजिक रूप से इसकी एक परिपाटी सी बना ली गई है कि आने वाले वर्ष का स्वागत करना है. अच्छा है ऐसा करना क्योंकि किसी भी नवांगतुक का स्वागत किया ही जाना चाहिए मगर इसके साथ-साथ जो आपके साथ लम्बे समय तक रहा, उसका आकलन भी आवश्यक है. आखिर जो साल इतने लम्बे समय तक साथ रहा. हर अच्छे-बुरे काम उसी के साए में किये गए तो क्या ये आवश्यक नहीं कि चंद पल रुक कर उनका आकलन कर लिया जाये? ये जान लिया जाए कि जाते हुए वर्ष के साथ हमने क्या अच्छा किया और क्या बुरा? क्या ये जानना भी आवश्यक नहीं कि जो साल अब दोबारा नहीं आने वाला वह हमारे लिए सुखद रहा या दुखद? 

संभव है कि बहुत से लोग इसे महज एक तरह का आदर्शवाद साबित करने की कोशिश करें. ये भी संभव है कि ऐसे किसी कदम को स्वानुभूति का माध्यम बताएं. कुछ भी संभव है मगर जिस तरह की एक आदत हमारे भीतर बचपन से डाली गई उसके अनुसार हम प्रतिदिन की घटनाओं का आकलन करते हैं. सोने के पहले ये विचार करते हैं कि दिन भर में हमने क्या अच्छा किया और क्या बुरा किया. कितनी बातों को लेकर हम सफल रहे और कितनी बातों को लेकर हम असफल रहे. दिन भर की घटनाओं में कितनी घटनाओं ने हमें निराश किया और कितनों ने हमें खुश किया. साल के अंतिम दिन ऐसा ही गुणा-भाग हमारे साथ चलता रहता है. एक-एक दिन का आकलन करना और पूरे साल भर का आकलन करना अपने आपमें अलग काम है. ऐसे में खुद को नियंत्रित करके अपने कार्यों के, अपने स्वभाव के बारे में कुछ भी आकलन करना, विश्लेषित करना बहुत बड़ा काम होता है. समाज को दिखाने के लिए कुछ भी कह-सुन लिया जाये मगर हम खुद की नज़रों में अपना आकलन निष्पक्ष रूप से करते हैं. यदि आज इस वर्ष के जाने के महज एक दिन पहले अपना आकलन करें तो समीक्षात्मक रूप से हम असफल ही रहे हैं. सामाजिक स्तर पर, पारिवारिक स्तर पर, दोस्ती के स्तर पर, व्यावहारिक स्तर पर. यदि कहीं सफलता मिली है तो वह भी क्षणिक खुद के खेलकूद के स्तर पर. इसके अलावा लगभग सभी स्थितियों में हमारे हाथ असफलता ही हाथ लगी है. किसी भी रूप में हम किसी भी स्तर की ख़ुशी सबके बीच इस हिसाब से नहीं बाँट सके कि कहा जा सके कि यह स्थिति हमारे लिए सुखद रही. आने वाले वर्ष में इन सभी को देखते हुए सुधारने की कोशिश करना है. वर्ष 2020 में भी सफल होंगे या असफल, ये तो समय के गर्भ में है.



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