14 नवंबर 2019

हाँ, हम दोषी हैं पर आगे बढ़ना ही होगा

हाँ, हम तुम्हारे दोषी हैं, मानते हैं. क्या करें अब? जब जो कहना चाहा था, तब तुमने सुनना न चाहा था? या फिर सुन कर भी तुमने अनसुना कर दिया था. समझ नहीं आया रहा कि हम गलत कहाँ थे, तब या अब? तब जब कि तुमसे सबकुछ कहना था तब कुछ भी कह न पाए, अब जबकि कुछ कहना न था तो सबकुछ कह दिया. हो सकता है कि हम दोषी हों, तब भी और आज भी मगर क्या सिर्फ हम ही? तब भी जब तुमको सबकुछ कहना था तब तुमने कुछ न कहा, अब जबकि तुमको कुछ न कहना था तब तुमने सबकुछ कहा. इस कहे-सुने के बीच कुछ पल ऐसे हैं जो अनुसने आज भी हैं. उन्हीं पलों को सहेजना होगा. उन्हीं पलों से साथ आगे बढ़ना होगा. 

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