30 सितंबर 2019

वाहन चालकों के अलावा भी बहुत सी जानें कीमती हैं साहब!


शासन-प्रशासन इस समय इस चिंता में हैं कि कैसे वाहन चालकों की जान बचाई जाये. ऐसा पढ़कर आपको आश्चर्य लगेगा. लगना भी चाहिए क्योंकि बात ही ऐसी है. पिछले दिनों वाहन सम्बन्धी अधिनियम में जबरदस्त बदलाव करते हुए जुर्माने को कई-कई गुना बढ़ाया गया. कई प्रदेशों से अचानक से बड़ी-बड़ी धनराशि वाले चालानों के काटे जाने की खबरें आनी शुरू हो गईं. वाहनों के कागजातों को सही रखने, पूर्ण रखने के सम्बन्ध में जितना जोर दिया गया, उससे कहीं अधिक जोर दोपहिया वाहन चालकों के हेलमेट पहनने पर, कार चालक के सीट बेल्ट लगाने पर दिया गया. मंत्री स्तर से ऐसे बयान भी आये कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ही जुर्माने को बढ़ाया गया है. समझ नहीं आया कि शासन-प्रशासन को सिर्फ वाहन चालकों की जान की ही चिंता क्यों है? सरकार की प्राथमिकता में अन्य नागरिकों की जान की सुरक्षा इस प्राथमिकता में क्यों नहीं है, जिस प्राथमिकता में वाहन चालकों की है? स्वास्थ्य, नागरिक सुरक्षा, जान-माल सुरक्षा के प्रति अभी भी लापरवाही दिखाई दे रही है. 

बहरहाल, सरकार क्या विचार कर रही है, क्या कदम उठा रही है इस पर चर्चा करना अभी इस पोस्ट का अभीष्ट नहीं है. इस पोस्ट का मंतव्य महज इतना दिखाना है कि जिम्मेवार प्रशासन भी अपने कदमों को उसी स्थिति तक उठाता है जितना कि उसे आदेशित किया जाता है. कहते हैं न कि ‘जितनी चाभी भरी राम ने, उतना चले खिलौना’ कुछ ऐसा ही रवैया प्रशासन का रहता है या कहें कि अभी वर्तमान में ऐसा बना हुआ है. जबसे मोटर अधिनियम में बड़े बदलाव हुए हैं, प्रशासन पूरी तत्परता से, तन्मयता से दोपहिया वाहन चालकों के हेलमेट को पकड़ने में लगा है. जो बिना हेलमेट पकड़ में आये उनको चालान पकड़ा दिया जा रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे एकमात्र उसी व्यक्ति की जान कीमती है जो दोपहिया वाहन चला रहा है. ऐसा सभी जगहों की तरह से जनपद जालौन में भी हो रहा है. जिला मुख्यालय उरई में ऐसी तत्परता कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है.


इसी तत्परता के बीच उरई में एक ऐसी सड़क पर, जहाँ दिन में कई बार जिला प्रशासन का, अधिकारियों का निकलना होता है, असुरक्षा विगत कई वर्षों से बनी हुई है. शहर के बीचों-बीच बने एक प्रसिद्द मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पास कुछ ऐसी स्थिति बनी हुई है. शहर की मुख्य सड़क और मंदिर को जाने वाली सड़क आपस में मिली हुई है मगर दोनों के बीच कई फीट का फासला (ऊँचाई) है. मुख्य सड़क और मंदिर वाली सड़क के बीच के अंतर को एक तिरछी स्थिति से पाटने की कोशिश की गई है. इस सड़क पर पूरे दिन काफी आवाजाही रहती है. इसका कारण एक तो इसका जनपद जालौन और उसके आगे अन्य मुख्य नगरों को मिलाना है. इसी सड़क पर आगे चलकर परिवहन विभाग का बस स्टैंड भी बना हुआ है, जहाँ उत्तर प्रदेश परिवहन की सभी बसों का जाना होता है. इसके साथ-साथ इसी सड़क पर जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, आवास होने के साथ-साथ सभी मुख्य अधिकारियों के कार्यालय और आवासों के बने होने से भी आवाजाही बराबर बनी रहती है. दक्षिणमुखी  हनुमान जी का मंदिर होने के कारण भी श्रद्धालुओं के बीच इस मंदिर की विशेष महत्ता है. इस कारण से मंगलवार और शनिवार को यहाँ विशेष रूप से भीड़ हुआ करती है. इसके बाद भी प्रशासन द्वारा कभी भी यहाँ पर किसी तरह की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिससे किसी अनहोनी की स्थिति में सड़क से वाहन या पैदल नागरिक को फिसल कर मंदिर वाली सड़क गिरने से रोका जा सके.


सोचने वाली बात है कि सड़क की व्यस्त आवाजाही के बीच छोटे-बड़े वाहनों का निकलना, परिवहन विभाग की बसों की नियमित आवाजाही के चलते यहाँ वाहन चालक और पैदल यात्री असुरक्षित ही हैं. यह तो सौभाग्य है लोगों का कि छुटपुट घटनाओं के अलावा यहाँ अभी तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है. लगता है प्रशासन अभी किसी बड़ी दुर्घटना के इंतजार में है. तब तक बिना हेलमेट वालों को पकड़ कर उनकी जान की सुरक्षा में व्यस्त रहा जाये.  




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