हम
सभी ज़िन्दगी की अनिश्चितता को लेकर बहुत सारी बातें करते हैं मगर इसकी असलियत के
बारे में कभी गौर भी नहीं करते हैं. हो सकता है आप इसे न स्वीकारें मगर इससे इंकार
नहीं कर सकते कि रोज ही घर से बाहर निकलते समय आप ज़िन्दगी की अनिश्चितता को लेकर
विचार न करते हों. सबकुछ आपके हाथ में होने के बाद भी ज़िन्दगी आपके हाथ में नहीं
होती. चाहे देश का सर्वोच्च पदधारी हो, सर्वोच्च शक्तिधारी हो या फिर निम्न से
निम्नतर व्यक्ति, कोई ही दावे के साथ नहीं कह सकता कि वो अगले पल की ज़िन्दगी का
आनंद लेगा ही. असल में ज़िन्दगी का आनंद उसी समय लिया जा सकता है जबकि आने वाले के
बारे में कोई जानकारी न हो. मान लो, यदि किसी व्यक्ति को अपने आनंद के पलों में
ज्ञात हो जाये कि अगले पल या फिर इस निश्चित समय पर उसके साथ दुर्घटना घटित होने
वाली है, तब वो क्या उन आनंद भरे पलों का वास्तविक सुख ले पायेगा? नहीं न. यही
ज़िन्दगी है, जो अनिश्चितता में प्रत्येक इन्सान को रखते हुए उसे उत्साहित करती है,
ज़िन्दगी जीने का रास्ता दिखाती है.
असल
में देखा जाये तो ज़िन्दगी साँस लेने-छोड़ने का माध्यम मात्र है. आपने समाज के लिए
क्या किया, समाज आपको किस रूप में जान रहा है, असल में ज़िन्दगी यही है. इस समाज
में प्रत्येक जीव जिसको जीवन मिला है, वह किसी न किसी तरह अपने जीवन का निर्वाह
करते हुए अंतिम अवस्था को प्राप्त हो जाता है. इसी चक्र में कतिपय विरले व्यक्ति
ही ऐसे होते हैं जो अपने जीवन को अपने लिए नहीं वरन समाज के लिए व्यतीत करने का
कार्य करते हैं. असल में जिंदगी का आनंद वही लोग लेते हैं. असल में ज़िन्दगी भी वही
लोग जीते हैं. हम सबको ध्यान रखना चाहिए कि ज़िन्दगी की अनिश्चितता ही हम सबको
जीवित रखे है, हम सबको सामान्य रखे है. यदि किसी भी व्यक्ति को अपने भविष्य के
बारे में जानकारी हो जाये तो वह किसी भी स्थिति में सामान्य नहीं रह सकता है. ऐसी
स्थिति में जबकि हमें अपना भविष्य ज्ञात नहीं, अपने वर्तमान को अंतिम सत्य मानते
हुए व्यतीत करना चाहिए. इससे सभी ज़िन्दगी का असल आनंद उठा सकते हैं साथ ही ज़िन्दगी
की अनिश्चितता के भय से मुक्त भी रह सकते हैं.
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