15 अप्रैल 2019

तेरा कष्ट मेरे कष्ट से बड़ा कैसे


समस्याएं सबसे साथ होती हैं पर हमें सिर्फ अपनी समस्या ही सबसे बड़ी क्यों लगती है? कष्ट किसी न किसी रूप में सबके साथ जुड़ा है पर हमें सिर्फ अपना ही कष्ट क्यों सबसे बड़ा दिखाई देता है? क्यों हमें किसी और के कष्ट, समस्या बड़ा समझ नहीं आता? क्यों अपने ही कष्ट को, अपनी समस्या को हम किसी दूसरे के कष्ट पर, दूसरे की समस्या पर आरोपित करना चाहते हैं. ऐसा संभव है कि उस स्थिति में होता हो जबकि हम अपने कष्ट में, अपनी समस्या में घिरे नितांत अकेले बैठे हों. जब हम किसी दूसरे के कष्ट में भागीदार नहीं बनेंगे, किसी दूसरे की समस्या के साथ खुद को जोड़ने का काम नहीं करेंगे तब तक किसी और के कष्टों, दुखों, समस्याओं को न ही समझ सकेंगे, न ही उनको बड़ा समझ सकेंगे. कष्ट, समस्या, दुःख किसी भी रूप में किसी व्यक्ति की प्रसिद्धि का कारक नहीं बनते. उनके होने पर किसी व्यक्ति को सुख की अनुभूति नहीं होती है. इसके बाद भी ऐसा देखने में आता है कि व्यक्ति अपने कष्टों, अपनी समस्याओं को लगभग पालने-पोसने का काम करते हैं. किसी न किसी तरह, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में समाज में अपने कष्ट, अपनी समस्या को प्रकट करने का अवकाश खोजते हैं.


व्यक्ति समाज का एक हिस्सा है, उसी के द्वारा समाज का निर्माण हुआ है. ऐसे में सभी व्यक्तियों का दायित्व बनता है कि वे एक-दूसरे के साथ तारतम्यता बनाये रखें, एक-दूसरे के साथ सामंजस्य बनाये रहें. यदि व्यक्ति ऐसा करने में सक्षम होता है तो वह एक-दूसरे के सुखों का आनंद भी उठा सकता है, एक-दूसरे के दुखों, कष्टों, समस्याओं को भी मिलकर सुलझा सकता है. मिलजुल कर रहने के कारण, सामूहिकता की भावना होने के कारण किसी भी व्यक्ति को अपना कष्ट किसी दूसरे के कष्ट के आगे बहुत बड़ा नहीं लगेगा. कष्ट की, समस्या की स्थिति में वह हमेशा दूसरे के कष्टों को, समस्याओं को दूर करने के लिए आगे ही आगे रहेगा. इससे व्यक्ति को समझ में आएगा कि समाज में एकमात्र वही नहीं है जिसके पास समस्याएं हैं, कष्ट हैं. उसके जैसे, उससे बुरी स्थिति में बहुत से लोग हैं जो कष्टों में, समस्याओं में रहने के बाद भी अपने जीवन को सहजता से संचालित कर रहे हैं. 

व्यक्ति को अपनी गंभीरता, अपने धैर्य, अपनी हिम्मत का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. इनके द्वारा वह आत्मविश्वास में वृद्धि करता रहता है. इसी आत्मविश्वास के चलते वह सदैव कष्टों पर विजय पा सकता है, समस्याओं का समाधान खोज सकता है, दुखों से मुक्ति पा सकता है. बस उसे ध्यान रखना होगा कि उससे ज्यादा कष्ट वाले, समस्या वाले इस समाज में हैं. उसे ध्यान रखना होगा कि उसके पास आत्मविश्वास है जो उसे हारने नहीं देगा.

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