31 दिसंबर 2018

बीते साल के अधूरे काम पूरे करने हैं


कुछ पलों के बाद वर्ष 2018 हमसे दूर चला जायेगा और नया साल 2019 हमारे सामने आ जायेगा. हम सब बीते साल को भुलाते हुए नए साल के स्वागत में जुट जायेंगे. लोगों के द्वारा आतिशबाजी, पटाखे चलाया जाना शुरू होगा. एक-दूसरे को बधाई देने-लेने का, शुभकामनायें लेने-देने का काम चलता रहेगा. इस दौरान हम लोग एक पल को भी याद नहीं करते बीते साल को. जबकि हमें याद रखना चाहिए कि हम जिस पल का स्वागत कर रहे हैं वही पल अगले ही पल पुराना होने वाला है, बीत जाने वाला है. ऐसे में जबकि एक आने वाला पल अगले ही पल पुराना होने वाला हो, बीत जाने वाला हो तब हम सभी को खुशियों के बीच बीते साल में अपने गुजारे गए पलों को नहीं भूलना चाहिए. शेष लोग क्या करते हैं, क्या नहीं इसका अंदाजा तो कतई नहीं है पर हम व्यक्तिगत रूप से नित्य ही अपने पूरे दिन का आकलन रात को सोने के ठीक पहले करते हैं. एक-एक दिन का आकलन भले ही छोटा लगे मगर इसके द्वारा अपनी गलतियों, कमियों को सीखने-सुधारने का मौका मिलता है. इसके बाद भी हमारे लिए ही हम कह सकते हैं कि कई गलतियाँ, कई कमियां अभी भी हमारे भीतर हैं, बनी हुई हैं. 


एक-एक दिन के आकलन को जोड़-जोड़ कर साल भर का आकलन बताता है कि हमारे साथ अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो सुधारने की आवश्यकता है. अपने अन्दर की कमियों को बहुत हद तक दूर करने की कोशिश रहती है, बहुत हद तक इसमें सफल भी रहते हैं मगर फिर भी कुछ है जो अभी सुधारा नहीं जा सका है. नए बदलते कैलेण्डर के साथ बहुत से इरादे सामने होते हैं, कई सारे वादे खुद से किये जाते हैं, बहुत से संकल्प किये जाते हैं. इस जाने वाले साल में हमने अपने आपसे दो-चार वादे किये थे, दो-चार संकल्प किये थे. इनमें से पूरी तरह से सफलता तो किसी में नहीं मिली हाँ कुछ-कुछ काम अवश्य हुए हैं. ऐसे में इस नए साल में क्या संकल्प होगा, क्या वादा होगा पता नहीं. आने वाले साल में इसका भी ध्यान रखा जायेगा कि किसी की भावनाओं से खिलवाड़ न हो. जाने-अनजाने संभवतः ऐसा हो जाता है. दिल-दिमाग कभी नहीं चाहता है कि किसी का अहित किया जाये, किसी की भावना का अपमान किया जाये. इस साल अपने कुछ कार्यों से लगा कि ऐसा नहीं किया जाना था. यदि अपने आपमें अनुशासित रहते, अपने आपको संयमित रखते तो निश्चित ही बहुत कुछ नियंत्रित रखा जा सकता था. इसके बाद भी कहा जा सकता है कि किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करना उद्देश्य कतई नहीं रहता है. आने वाले कुछ दिन अपने को विश्लेषित करने का समय है. कुछ नया करने, सोचने के पहले इस जाने वाले साल में जो अधूरा रह गया है उसे पूरा करने का काम किया जायेगा. 

ऐसा इसलिए क्योंकि यदि अपने स्तर पर इस साल का आकलन करें तो ऐसा कुछ भी नहीं पाया जिसे उपलब्धि कहा जा सके. ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जिससे विश्वास में और वृद्धि की जा सके. ऐसा कुछ नहीं किया गया जिसके द्वारा अपने आपमें भी गर्व किया जा सके. बहुत कुछ मन में है, बहुत कुछ दिमाग में है उसे पूरा करने का हौसला जुटाना है. अपने प्रति बनती-बिगड़ती तमाम धारणाओं के बीच खुद को स्थापित करना है. विश्वास-अविश्वास के बीच की बारीक रेखा को मिटाते हुए विश्वास का माहौल खड़ा करना है. सफलता-असफलता के बीच भटकते हुए बस सफलता की मंजिल को प्राप्त करना है. हाँ, विगत अनेक वर्षों की तरह ही यह वर्ष भी जाते-जाते दुखी करके गया. ऐसा एक-दो सालों से नहीं हो रहा वरन पिछले न जाने कितने साल ऐसे बीते जिनमें साल जाते-जाते दुखी कर जाता है, कष्ट दे जाता है. इस बार भी हुआ मगर, ये जीवन है यहाँ इसी अनिश्चितता के बीच सबकुछ गुजारना होता है. यह साल तो गुजर जाने वाला है, आने वाला साल भी अपनी अवधि पूरी करके गुजर जायेगा. जाते साल में जो-जो उपलब्धियाँ आप सबको मिली उसके लिए शुभकामनायें. जो काम अधूरे रह गए, उनके आने वाले साल में पूरा होने की कामना.

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