29 दिसंबर 2018

जीवन की अनिश्चितता में क्रियाशीलता


हर नया दिन एक नए अनुभव के साथ गुजर जाता है. यह भले ही लगता हो कि सभी दिन एक जैसे, एक तरीके से गुजर रहे हैं मगर ऐसा होता नहीं है. एक सा लगने के बाद भी, एक जैसी क्रियाविधि होने के बाद भी सभी दिनों का अपना ही एक अलग अंदाज होता है. नित्यप्रति की दिनचर्या भले ही एक जैसी महसूस हो रही हो मगर उसके अनुभव अलग तरह से सीख देते हैं. कुछ भी निश्चित नहीं होता है, कुछ भी निश्चित सा समझ आता भी नहीं है. इसी अनिश्चय के बीच व्यक्ति निश्चित सा बना हुआ आगे बढ़ता रहता है.


कई बार लगता है कि यदि जीवन में यही अनिश्चितता न होती तो जीवन कितना नीरस हो जाता. सब कुछ पहले से निर्धारित. सबकुछ पहले से नियोजित. न कोई प्लान, न कोई योजना, न कोई प्रयास, बस सबकुछ तय तरीके से होता रहता, सामने आता रहता. जिंदगी की यही अनिश्चितता भले ही जिंदगी को नीरस नहीं होने देती मगर यही अनिश्चितता बहुत बार इंसानों को परेशान भी कर जाती है. कब क्या होगा, कैसे होगा, कौन करेगा, ऐसा हुआ तो क्यों हुआ, वैसा क्यों नहीं हुआ, ऐसा होता तो क्या हो जाता, वैसा न हुआ होता तो क्या होता आदि-आदि सवालों के साथ व्यक्ति अपने दिन को व्यतीत करता रहता है. इन्हीं सबके बीच वह अपने लिए रास्ता बनाता हुआ अपनी सोची हुई मंजिल को पाने के लिए लगातार प्रयासरत बना रहता है.

उसके प्रयासों से उसको मंजिल मिलती है या नहीं, ये एक अलग विषय हो सकता है किन्तु इसी बहाने से प्रत्येक व्यक्ति क्रियाशील बना रहता है. समाज भी इसी कारण गतिशील दिखाई देता है. इसी गतिशीलता ने सबको लक्ष्य के प्रति संवेदित होने की प्रेरणा दी है. व्यक्ति का लक्ष्य छोटा है या बड़ा, व्यक्ति के पास संसाधन सीमित हैं या असीमित, व्यक्ति के पास क्षमता है अथवा नहीं इसका कोई मोल नहीं होता है. गतिशीलता के चलते मोल इसका होता है कि कोई व्यक्ति कितनी ईमानदारी के साथ अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित भाव से लगा हुआ है. उसका यही समर्पण उसे आगे बढ़ाता है, उसे सफलता प्रदान करवाता है. स्पष्ट है कि बिना ईमानदारी के, बिना गतिशीलता के, बिना सार्थक प्रयास के किसी भी तरह से सफलता प्राप्त करना संभव नहीं. कदाचित कभी-कभी ऐसे लोग भी सफल होते दिखाई देने लगते हैं जो किसी न किसी तरह का कुचक्र रचकर ऐसा कर लेते हैं किन्तु ऐसा क्षणिक रूप में लाभकारी होता है. दीर्घकालिक लाभ के लिए व्यक्ति को ईमानदारी, सतत सार्थक प्रयासों की आवश्यकता है. जीवन की अनिश्चितता के साये में इसे छोड़ा नहीं जाना चाहिए.

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