जब समय आपके अनुसार काम करता है तो वह
सबसे बड़ा मित्र होता है मगर जब वही सही समय आपके अनुसार काम नहीं करता है तो सबसे
बड़ा दुश्मन वही होता है. यह सार्वभौमिक सत्य है कि समय कभी किसी के अनुसार नहीं
चला है बल्कि इंसानों को उसी के अनुसार चलना पड़ा है. इसके बाद भी व्यक्ति समय को
अपने अनुसार संचालित करने का दंभ भरता है. समझ से परे है कि आखिर वह ऐसा करता
क्यों है? प्रत्येक व्यक्ति इसको जानता है कि समय उसका इंतजार नहीं करता है और
अपने हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति का हिसाब-किताब करते हुए आगे बढ़ता जाता है. आज के
दौर में जबकि एक-एक पल का महत्त्व है, एक-एक सेकेण्ड कीमती है तब मनुष्य को अपने
समय का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए. एक सेकेण्ड की अव्यवस्था किसी को भी कई-कई
पल पीछे भेज सकती है. इसका एहसास भले ही किसी व्यक्ति को तुरंत न हो मगर जब उसके
द्वारा अपने समय का आकलन किया जाता है तब उसे एहसास होता है कि उसके द्वारा समय का
सदुपयोग नहीं किया गया. ऐसे एक-दो नहीं वरन अनेकानेक उदाहरण हैं जबकि किसी भी
व्यक्ति को समय का सदुपयोग न करने पर खामियाजा भुगतना पड़ा है.
समय के महत्त्व को
आज की पीढ़ी को समझना बहुत आवश्यक है. वह भौतिकतावादी शक्तियों के हाथों में खेलती
हुई समय को पूरी तरह से तिरोहित कर चुकी है. उनको इसका ख्याल रखना चाहिए कि वे महज
एक वर्तमान को नहीं जी रहे हैं बल्कि उनके कंधों पर देश का भविष्य है. उनके द्वारा
बर्बाद किया गया एक-एक सेकेण्ड उनका ही नहीं वरन देश का समय बर्बाद कर रहा है.
देखने में भले ही यह बहुत छोटी सी बात लगे मगर एक युवा शक्ति का मात्र एक सेकेण्ड बर्बाद
करना पूरे देश की कीमत पर लाखों-लाख सेकेण्ड की बर्बादी करने जैसा है. समझना होगा
कि देश हमसे नहीं वरन हम सभी देश से हैं. अपने एक सेकेण्ड के लिए हम देश के लाखों सेकेण्ड
को बर्बाद नहीं कर सकते. इसका खामियाजा सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि इस देश को, हमारे
देश को ही भुगतना होगा.
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