वो भूल जाने की ज़िद रखता है,
याद न रखने की ज़िद रखता है.
याद न आ जाऊँ मैं उसे कहीं,
ये याद रखने की ज़िद रखता है.
नहीं करता गिला शिकवा कभी
ख़ामोश रहने की ज़िद रखता है.
मिलता है वो सबसे हँस-हँस कर,
हमसे दूर रहने की ज़िद रखता है.
उसका दीदार भी हुआ है मुश्किल,
नक़ाब में छिपने की ज़िद रखता है.
++
कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
19-12-2018
याद न रखने की ज़िद रखता है.
याद न आ जाऊँ मैं उसे कहीं,
ये याद रखने की ज़िद रखता है.
नहीं करता गिला शिकवा कभी
ख़ामोश रहने की ज़िद रखता है.
मिलता है वो सबसे हँस-हँस कर,
हमसे दूर रहने की ज़िद रखता है.
उसका दीदार भी हुआ है मुश्किल,
नक़ाब में छिपने की ज़िद रखता है.
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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
19-12-2018
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