उरई
के शांतिनगर में संचालित अंध विद्यालय की प्रबंध समिति का विवाद अंध विद्यालय में
अध्यापन करवा रहे दो शिक्षकों सहित वहाँ अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों से था। विगत
कई वर्षों से प्रबंध समिति अपनी तरह से कार्य करते हुए न तो नेत्रहीन बच्चों की तरफ
ध्यान दे रही थी और न ही दोनों नेत्रहीन शिक्षकों को वेतन दे रही थी। इस विवाद के निपटारे
में दोनों नेत्रहीन शिक्षकों तथा सभी नेत्रहीन विद्यार्थियों को इस वर्ष जुलाई में
विद्यालय छोड़ना पड़ा था। ऐसे में समस्या उनके रहने की थी। इस विषम स्थिति में नगर
के एक विवाह घर पुष्पांजलि मैरिज हॉल के मालिक द्वारा उन सभी को अपने हॉल को उनके
आवास हेतु निःशुल्क उपलब्ध करवाया गया था। इस दौरान नेत्रहीन शिक्षकों एवं बच्चों की
समस्याओं को समय-समय पर उठाने वाले डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, राहुल सोनी,
रोहित त्रिपाठी, रोहित विनायक आदि उनके आवास के
लिए लगातार प्रयासरत रहे। इसके लिए वे लोग लगातार प्रशासन के सम्पर्क में भी रहे। प्रशासनिक
सहयोग भी यथोचित रूप से मिलता रहा। इसी बीच सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में अधिवक्ता के
रूप में कार्य कर रहे अभिषेक तिवारी के पास नेत्रहीन शिक्षकों, विद्यार्थियों की समस्या पहुँची।
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दानदाता माँ और संस्था प्रबंधक दीपक कुमार |
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सहयोगी जन |
अभिषेक
तिवारी ने इस समस्या को निपटाने के उद्देश्य से इस प्रसंग को अपने घर में उठाया।
स्वभाव से दानवीर परिवार में समस्या सुनते ही एडवोकेट अभिषेक तिवारी की माता जी श्रीमती
रानी तिवारी ने नेत्रहीन शिक्षकों और नेत्रहीन बच्चों के आवास हेतु तत्काल अपनी
जमीन से एक प्लाट दान देने का निर्णय किया। उन्होंने अपने पति स्व० श्री देवेन्द्र
कुमार तिवारी की स्मृति में दिनांक 05 अक्टूबर 2018 को सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित होकर नेत्रहीन शिक्षकों द्वारा नवगठित,
सोसायटी रजिस्ट्रार, झाँसी में पंजीकृत संस्था
के नाम सम्बंधित जमीन का हिस्सा कर दिया। शहर उरई में बनी काशीराम कॉलोनी के नजदीक
स्थित सोलह सौ वर्ग फुट जगह के क़ानूनी कागजात, अधिकार-पत्र सौंपे
उन्होंने स्वयं संस्था प्रबंधक दीपक कुमार को सौंपे। इस अवसर पर श्याम जी सोनी,
अखिलेश द्विवेदी, राहुल सोनी, धर्मेन्द्र गुप्ता, मुन्ना जाटव, डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर आदि उपस्थित रहे। इस मौके पर सभी गणमान्य नागरिकों
से अपील की गई कि वे नेत्रहीन शिक्षकों, विद्यार्थियों के आवास
निर्माण हेतु यथोचित सहयोग करने के लिए आगे आयें।
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जमीन की रजिस्ट्री के कागजात सौंपती माता जी |
इन
नेत्रहीन शिक्षकों और नेत्रहीन बच्चों की समस्या का आरम्भ शांति नगर में संचालित
अंध-विद्यालय की प्रबंध समिति द्वारा भ्रष्टाचार करने की मानसिकता के साथ हुआ।
किसी समय भले उद्देश्य के साथ आरम्भ किये गए इस विद्यालय में शुरुआती दिनों में सब
सही से चला। नगरवासियों ने, जनपदवासियों ने खुले दिल से सहयोग करना शुरू किया।
सहयोग की पवित्र भावना के साथ बहुत से लोगों द्वारा नकद धनराशि देकर भी सहायता की
जाने लगी। नेत्रहीनों के नाम से जमा की जाने वाली धनराशि को प्रबंध समिति द्वारा
अपने हितों, स्वार्थ में खर्च किया जाने लगा।
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विधायक निधि के उपयोग के बाद भी अधूरा भवन |
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विधायक निधि के उपयोग के बाद भी अधूरा भवन बंद पड़ा है |
इस बीच प्रबंध समिति द्वारा उपयोग
में लाये जा रहे भवन को बेच दिया गया। इसके साथ-साथ तिकड़म और जुगाड़ के आधार पर
समिति द्वारा ही पास में एक प्लाट पर भवन बनवाने के नाम पर दो विधायकों की निधि का
भी उपयोग किया गया। निधि का उपयोग करने के बाद भी भवन पूरी तरह नहीं बनवाया गया,
जिससे अंध-विद्यालय नए भवन में संचालित नहीं किया जा सका। उधर जिस भवन में
अंध-विद्यालय संचालित था, उसका नवीन मालिक आकर नेत्रहीन शिक्षकों, बच्चों को
धमकाने लगा। यहीं से विवाद उत्पन्न हुआ क्योंकि उस भवन का क्रेता-विक्रेता दोनों
ही प्रबंध समिति के सम्बद्ध थे। ऐसे में प्रबंध समिति के कार्यों का खुलासा जनता
के सामने होने लगा। विवाद बढ़ता ही रहा, जनता नेत्रहीनों के साथ खड़ी रही।
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समस्या से विधायक को अवगत कराया गया |
इस
मामले को बराबर जिला प्रशासन के सामने उठाया जाता रहा। मामला विधायक निधि के
भ्रष्टाचार से सम्बंधित होने और कतिपय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार दबाव
बनाये जाने के कारण प्रशासन को इसमें कार्यवाही करने को आगे आना पड़ा। प्रशासन के
हस्तक्षेप के बाद दोनों नेत्रहीन शिक्षकों को वेतन स्वरूप कुछ धनराशि प्रदान की गई।
प्रबंध समिति ने विधायक निधि से बनने वाले भवन में जल्द से जल्द विद्यालय संचालित
करने का आश्वासन प्रशासन को दिया साथ ही शर्त यह लगाई कि उनकी समिति इन दोनों
नेत्रहीन शिक्षकों से अध्यापन कार्य करवाने को तैयार नहीं। अंततः दोनों नेत्रहीन
शिक्षकों और नेत्रहीन बच्चों को वह विद्यालय भवन छोड़ना पड़ा। अब जबकि उनके लिए जमीन
की व्यवस्था हो गई है, जनता से सहयोग की अपेक्षा है। संभव है कि सबके सहयोग से
जल्द ही ये नेत्रहीन शिक्षक और बच्चे अपने स्थायी आवास में रहने लगें।
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प्रशासन के सहयोग से निपटता विवाद |
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नेत्रहीन बच्चों की मदद करते समाजसेवी |
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