न उम्र की सीमा हो,
न जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन किसी ग़ज़ल के ये चंद शब्द आज
भी दिल को धड़का देते हैं. इन शब्दों में छिपी भावना को, प्यार को लगभग प्रत्येक
व्यक्ति खुद के भीतर छिपी प्यार की भावना से एकाकार करके भावविभोर होता है. उम्र
और जन्म का बंधन उसके लिए नकार चाहता है किन्तु जैसे ही यही भावना किसी और के
प्यार के साथ जुड़ती दिखाई देती है वैसे ही सारी संवेदना हवा हो जाती है. अपने से
इतर किसी दूसरे के लिए ऐसा होते ही समाज, संस्कार, मर्यादा, सामाजिकता आदि की सीमारेखा
दिखाई देने लगती है. ऐसे एक-दो नहीं वरन हमारे आसपास अनेक उदाहरण हैं, जबकि दो
व्यक्तियों की उम्र में जबरदस्त अंतर के चलते उनके संबंधों को मजाक बनाया गया,
उनका मजाक बनाया गया. कुछ ऐसा ही हाल में ग़ज़ल-भजन गायक अनूप जलोटा और जसलीन के
संबंधों के सामने आने के बाद हुआ. एक टीवी शो में उनके संबंधों का खुलासा होते ही
उन पर चुटकुलों के, व्यंग्य के, परिहास के, उपहास के तीखे तीर चलाये जाने लगे.
उम्र और जन्म के बंधन को न मानने वाले शब्द गुनगुनाने वाले भी उनके सम्बन्ध के
पीछे पड़ गए. लिव-इन-रिलेशन, समलैंगिकता के समर्थक, किस ऑफ़ लव जैसे आयोजन का समर्थन
करने वाले भी एकदम से अनूप जलोटा को चरित्रहीन साबित करने पर उतर आये. सोशल मीडिया
पर जैसे एक आयोजन सा होने लगा. किसी एक पोस्ट पर, किसी एक चित्र पर अनेकानेक लाइक,
टिप्पणी, शेयर मिलने लगे. बिना आगा-पीछा सोचे भेड़चाल शुरू हो गई.
यहाँ विचार करना
चाहिए कि क्या वाकई अनूप जलोटा ने अपराध जैसा कुछ किया है? तथ्यों के आलोक में
देखना चाहिए कि क्या वाकई अनूप जलोटा को चरित्रहीन माना जाना चाहिए? उम्र के बहुत
बड़े अंतर के कारण, भजन गायकी के चलते वे अचानक से व्यंग्य-बाणों का शिकार भले हो
रहे हों मगर उन पर ऐसा कटाक्ष, व्यंग्य करने वालों को कई बातों पर ध्यान देने की
जरूरत है. भजन सम्राट के रूप में प्रसिद्द अनूप जलोटा का वैवाहिक जीवन अपने आपमें संतोषजनक
नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने तीन शादियाँ की. उनकी पहली पत्नी गायिका सोनाली सेठ
थीं हालांकि उनकी शादी बहुत समय तक नहीं टिक सकी और उनका तलाक हो गया. तलाक के बाद
सोनाली ने गायक रूपकुमार राठौड़ से विवाह किया. अनूप जलोटा ने इस सम्बन्ध-विच्छेद
के बाद अपने परिवार के कहने पर बीना भाटिया से शादी की. यह विवाह सम्बन्ध भी बहुत
लम्बे समय तक न चल सका और इसकी परिणति भी सम्बन्ध-विच्छेद के रूप में हुई. इसके
बाद अनूप जलोटा ने पूर्व प्रधानमंत्री गुजराल की भतीजी मेधा गुजराल से विवाह किया.
उनके वैवाहिक को जैसे किसी की नजर लगी थी. सन 2014 में लीवर की बीमारी के चलते
उनकी तीसरी पत्नी मेधा का देहांत हो गया. अकेले रह गए अनूप जलोटा के बारे में कहा
जाता है कि वे जसलीन से संपर्क में आने के पहले दो लड़कियों के साथ लिव-इन-रिलेशन
में भी रहे. क्या ये सब सामाजिक रूप से गलत माना जायेगा? क्या एक विवाह सफल न होने
के बाद दो या तीन विवाह करना गलत है?
असल में हम सब लोकतांत्रिक
देश में रहने का दम्भ भरते हैं और एक झटके में ही अलोकतांत्रिक हरकतें करने पर उतर
आते हैं. आखिर हम आज भी किसी व्यक्ति के सार्वजनिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन को
अलग-अलग करके क्यों नहीं देख पा रहे हैं? खुद को लोकतान्त्रिक, आधुनिक स्वतंत्र मानने,
बताने वाले किसी भी व्यक्ति के निजी जीवन में हस्तक्षेप करने को तत्पर हो जाते
हैं. अनूप जलोटा के सम्बन्ध को मजाक का, आलोचना का विषय बनाने वालों को खुद से
सवाल करने होंगे कि क्या उसने अपनी बीवी रहते ऐसा किया? क्या उसने अगली महिला के
साथ रेप किया? क्या वे उसे भगा कर लाये हैं? क्या उसने किसी दूसरे का घर उजाड़ा है? क्या उसने आलोचना
करने वालों के जीवन में ख़लल डाला है? क्या उसने समाज के
किसी व्यक्ति का वैवाहिक जीवन तोड़ा है? फिर लोग क्यों अनूप
जलोटा के पीछे पड़े हुए हैं? ऐसा कहीं इसलिए तो नहीं कि समाज
में आज भी बहुतायत मध्यमवर्गीय लोगों का जीवन इतना सहज नहीं है? उनके लिए आज भी सेक्स, लड़की, लिव
इन रिलेशन उनकी समझ से बाहर हैं? सामाजिकता, धर्म, उम्र,
कार्य, संस्कार का नाम देकर ऐसे किसी भी सम्बन्ध का मजाक उड़ाने के पीछे कहीं खुद
की कुंठा को दूर करना तो नहीं होता है? ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि समाज का एक
बहुत बड़ा वर्ग यौन-कुंठा के मारे दूसरों के जीवन में, वैवाहिक जीवन में तांक-झांक करता
रहता है. ऐसे लोगों के अपने वैवाहिक जीवन से, अपनी यौन सम्बंधी इच्छा से, विपरीत सेक्स
से उत्पन्न उनकी संकुचित मानसिकता, कुंठित मानसिकता ही दूसरों को आलोचना के केंद्र
में खड़ा कर देती है. कुछ ऐसा ही आज अनूप जलोटा के साथ हो रहा है और ऐसा ही कुछ समय
पूर्व कुछ राजनीतिज्ञों के साथ, फ़िल्मी कलाकारों के साथ भी हुआ है. अतीत के
मुर्दों को उखाड़ने से बेहतर है कि वर्तमान को देखा जाये तो इस सम्बन्ध में ऐसा कुछ
नहीं जिसे चरित्रहीन कहा जाये, अपराध कहा जाये, अमर्यादित कहा जाये, अश्लील कहा
जाये. हाँ, अपने-अपने वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट लोग, यौन-कुंठा से भरे लोग अवश्य
ही ये सब इस सम्बन्ध में खोज निकालेंगे.
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