आज रक्षाबंधन का पावन पर्व है. आज के दिन उसे रक्षासूत्र कलाई में बाँधा जाता है जो बाँधने वाले की रक्षा का वचन भरता है, जिम्मेवारी लेता है. बहरहाल, किसी समय, कतिपय कारणों से इसे भाई-बहिन के पवित्र प्रेम का पर्व माना जाने लगा. ऐसे में आज उन सभी को बधाई, शुभकामनायें..... जो इस पर्व की महत्ता समझते हैं.
उन्हें बधाई-शुभकामनायें जो राखी बाँधने वाली अपनी हर एक बहिन की रक्षा करने को तत्पर हैं.
उन भाइयों को बधाई जो उन्हीं से राखी बंधवाते हैं, जिन्हें भाई मानते हैं. उन्हें भी बधाई जिन्होंने किसी भी लड़की से राखी बंधवा ली, अब उसे अपनी बहिन की तरह मानेंगे.
उन बहिनों को भी बधाई जिन्होंने अपने ही भाइयों की कलाई में राखी बांधी. इसके साथ-साथ उन बहिनों को भी बधाई-शुभकामना जिन्होंने किसी लड़के की कलाई पर राखी तो बाँधी, अब उसे सदैव भाई की निगाह से ही देखेंगी.
ध्यान रखना होगा कि इस पर्व के निहितार्थ कुछ भी रहे हों मगर असलियत यह है कि यह विश्वास, पवित्रता,, पावनता का पर्व है. इसे बना रहना चहिए.
उन्हें बधाई-शुभकामनायें जो राखी बाँधने वाली अपनी हर एक बहिन की रक्षा करने को तत्पर हैं.
उन भाइयों को बधाई जो उन्हीं से राखी बंधवाते हैं, जिन्हें भाई मानते हैं. उन्हें भी बधाई जिन्होंने किसी भी लड़की से राखी बंधवा ली, अब उसे अपनी बहिन की तरह मानेंगे.
उन बहिनों को भी बधाई जिन्होंने अपने ही भाइयों की कलाई में राखी बांधी. इसके साथ-साथ उन बहिनों को भी बधाई-शुभकामना जिन्होंने किसी लड़के की कलाई पर राखी तो बाँधी, अब उसे सदैव भाई की निगाह से ही देखेंगी.
ध्यान रखना होगा कि इस पर्व के निहितार्थ कुछ भी रहे हों मगर असलियत यह है कि यह विश्वास, पवित्रता,, पावनता का पर्व है. इसे बना रहना चहिए.
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