25 अगस्त 2018

कुछ फ़ुटकर रचनाएँ

तन्हाई इस तरह सताती है,
याद तुम्हें करती हूँ,
वो चली आती है.
अबकी आ जाओ तुम
यादों की जगह,
एक तुम हो जो
बुलाये-बुलाये नहीं आते हो,
एक वो है जो
बिन बुलाये चली आती है.
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उनकी तारीफ कुछ इस अंदाज में कर बैठे,
दिखते हैं आइने के सामने ही अक्सर बैठे.

जी उनका भी नहीं भरता ख़ुद को देखने से,
ना जाने कितनी बार उठ-उठ कर फिर बैठे.

सावन की बारिश अब उन्हें भिगा नहीं पाती,
प्यार की बारिश में पहले से तरबतर बैठे.

शरमा जाते हैं महफ़िल में उसके आने पर,
उसे देखते हैं उसकी नज़र से बचकर बैठे.

जिस पल में मिली शोख़ नज़रों से नज़रें,
उसी पल में दिल अपना उनके नाम कर बैठे.

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दोस्ती का इतना है अफ़साना,
तुम हमारे बाक़ी सब तुम्हारा.
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तुम किसी और के साथ अटके रहो,
हम तुम्हारी अटक में अटके रहें,
ये तो रास्ते हैं जिंदगी के अटक भरे,
तुम भी चलते रहो, हम भी चलते रहें.
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रोज़ जले उनके प्यार में
मगर ख़ाक न हुए,
अजब हैं कुछ ख़्वाब जो
जल कर भी राख न हुए.
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यूँ ही ख़ामोशी से गुज़र जाना था
मुहब्बत की गली से,
उनकी आवाज़ पे रुक जाना ना था
मुहब्बत की गली में.
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काश आइने की जगह नज़रों में बस जायें हम,
तुम कहीं भी कुछ देखो, नज़र आएँ हम.
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कोई तो है जो तुम्हारी छवि मेरी गली में चाहता है,
मेरी दीवार पे मेरे नाम संग तेरा नाम लिख जाता है.

देखने निकले कौन लिखता है
हम दोनों का नाम दीवार पे,
वो तेरा ही साया निकला बोला
आए हैं कूचे में अपने यार के.
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अपने प्यार के इज़हार में एक शब्द न लिख सके हम,
उनके प्यार के इज़हार के लिए जाने क्या-क्या रच गए हम.
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