23 जुलाई 2018

ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के करीब लाती है ज़िन्दगी


ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के करीब लाती है ज़िन्दगी।
कभी हँसाती, कभी जार-जार रुलाती है ज़िन्दगी।।

रेत की दीवार से ढह जाते हैं सुनहरे सपने।
एक पल में हजारों रंग दिखाती है ज़िन्दगी।।

कोई नहीं जानता अंजाम अपने सफर का।
सभी को अपनी मंजिल तक पहुँचाती है ज़िन्दगी।।

नहीं कोई भरोसा है गुजरते हुए वक्त का।
सभी को कटी पतंग सा डोलाती है ज़िन्दगी।।

सहर होने से पहले काली रात के साये हैं।
मिटाने को फासला चाँदनी बन आती है ज़िन्दगी।।

लड़ते हुए अपने आपसे जीना भुला बैठे।
जीने के नये अंदाज सिखाती है ज़िन्दगी।।

बिछुड़ गये थे जो बीच राह में हमकदम।
अनजाने किसी मोड़ पर फिर मिलाती है ज़िन्दगी।।

दूर होकर भी कोई दिल के करीब है हमारे।
तन्हाई में मीठा सा एहसास कराती है ज़िन्दगी।।

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