बादलों का संग निभाने हो रही है बारिश,
जाने किस-किस को भिगोने हो रही है बारिश।
मन-मयूर नाचता है दिल कि कोयल कूकती,
प्रेम की सरगम सजाने हो रही है बारिश।
देख तेरे ही शहर में एक तन्हा हम ही हैं,
और सबका दिल बहलाने हो रही है बारिश।
लग के गले ख़ामोश दुनिया से बेख़बर बैठे रहे,
प्रेम का अंकुर खिलाने हो रही है बारिश।
रूठ कर बैठे हैं जो इक ज़रा सी बात पर,
प्यार से उनको मनाने हो रही है बारिश।
देख कर दर्द उसका आँख कोई नम न हो,
उसके अश्कों को छिपाने हो रही है बारिश।
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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
13-07-2018
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