30 जून 2018

बंद आँखों ने मगर अफ़साना सारा कह दिया

जिंदगी का कारवाँ बनता रहा न पूरा हुआ,
साथ आये लोग बस एक तू न साथ था.

प्यार भी तूने दिया तुझसे ही नफरत मिली,
जो दिया तूने मुझे मेरे लिए अनमोल था.

आस तेरे आने की हम राह में बैठे रहे,
तू न आया था कभी और आज भी आना न था.

मौसमों ने रोज बदलीं रंगतें मेरे लिए,
और मैं अपनी ही बारिश में सदा भीगा रहा.

लब मेरे खामोश तूने अपने लब से कर दिए,
बंद आँखों ने मगर अफ़साना सारा कह दिया.

ले गया मुझको उड़ाकर फिर वो न जाने कहाँ,
तेरा रूप ले के आया झोंका इक यादों भरा.



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यह पोस्ट इस ब्लॉग की 1250वीं पोस्ट है.

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