ज़िन्दगी में भटकाव बहुत है और इसी भटकाव के बीच से रास्ता निकालना है अपनी मंजिल तक पहुँचने का. आखिर इस मंजिल और रास्ते के बीच भटकाव क्यों और कहाँ से आता है, यह आज बहुत बड़ा सवाल बनता जा रहा है. भटकाव खुद के कारण है या फिर भटकाव किसी और के चलते है, भटकाव वास्तविक है या फिर भटकाव काल्पनिक है इनके जवाब भी साथ-साथ खोजने होंगे.
जब हम खुद की कृतित्व क्षमता को पहचान नहीं पाते हैं तब भटकाव होता है, इसलिये पहले खुद को जानने की क्रिया ही स्थिरता लाती है।
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