पंजाब नैशनल बैंक में 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक
का घोटाला सामने आया है. ये घोटाला मुंबई की एक ब्रांच में हुआ. यह बैंक की मार्केट
वैल्यू का क़रीब एक-तिहाई और साल 2017 की आख़िरी तिमाही के मुनाफ़े
का 50 गुना है. इस घोटाले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और
उसके साथी दोषी पाए गए हैं साथ ही पंजाब नेशनल बैंक के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत
सामने आई है. नीरव मोदी और उनके साथियों ने सन 2011 में बिना
तराशे हुए हीरे आयात करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित एक ब्रांच से संपर्क
किया. सम्बंधित शाखा से गारंटी पत्र या
लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग (LoU) जारी किये
गए.
कोई बैंक विदेश से आयात को लेकर होने वाले
भुगतान के लिए गारंटी पत्र या लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग (LoU) जारी करता है. इसका ये मतलब होता है कि
बैंक किसी कंपनी के विदेश में मौजूद सप्लायर को 90 दिन के लिए भुगतान करने को राज़ी हो
जाता है और बाद में पैसा कंपनी को चुकाना होता है. कुछ इसी तरह का काम नीरव मोदी
और उसके दोस्तों की कंपनियों के लिए किया गया. पंजाब नेशनल बैंक के कुछ कर्मचारियों
ने कथित तौर पर नीरव मोदी की कंपनियों को फ़र्ज़ी LoU जारी किए
और ऐसा करते वक़्त उन्होंने बैंक मैनेजमेंट को अंधेरे में रखा. इन्हीं फ़र्ज़ी LoU
के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने पंजाब नेशनल बैंक को लोन
देने का फ़ैसला किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक अधिकारी गोकुलनाथ शेट्टी और सिंगल
विंडो ऑपरेटर खरात ने कंपनियों द्वारा जारी किये LoU की जानबूझकर
कोर बैंकिंग सिस्टम में एंट्री नहीं की गई ताकि बैंक उच्च अधिकारियों को इसके बारे
में जानकारी ही ना हो पाए.
इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वालों ने एक क़दम
आगे जाकर सोसाइटी फ़ॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फ़ाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन या
स्विफ़्ट (SWIFT) का नाजायज़ फ़ायदा उठाना शुरू
किया. स्विफ्ट एक तरह का इंटर-बैंकिंग मैसेजिंग सिस्टम है जो विदेशी बैंक पैसा
जारी करने से पहले लोन ब्योरा पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक
तरह का पासवर्ड या कोड इस्तेमाल किया जाता है. इस सिस्टम से यह पता चलता है कि जो संदेश
बैंकों के पास आ रहे हैं वे आधिकारिक संदेश हैं. इसके इस्तेमाल से दोनों बैंक
शाखाओं में आपस में विश्वास बना रहता है. जिससे वे बिना किसी अविश्वास के लेन-देन
का कार्य करते रहते हैं. बैंक के कुछ अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों से बिना कोई
इजाज़त लिए स्विफ़्ट तक अपनी पहुंच का फ़ायदा उठाया. शाखा प्रबंधक द्वारा लेनदेन के
लिए वैश्विक वित्तीय संदेश सेवा स्विफ्ट का इस्तेमाल किया. स्विफ्ट एकाउंट का उपयोग
किये जाने के चलते भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं को कोई शक़ नहीं हुआ और उन्होंने
नीरव मोदी की कंपनियों को फ़ॉरेक्स क्रेडिट जारी कर दिया.
नीरव मोदी और उसके सहयोगियों की
कम्पनियाँ बीती पांच जनवरी तक इसी विधि से पीएनबी के साथ लेनदेन करती रही. चूँकि
हर नए लैटर ऑफ़ अंडरटेकिंग को पिछले से ज्यादा बनाकर बैंक से ऋण लिया जाता. इससे
पिछले ऋण को चुकता कर नए ऋण का उपयोग किया जाने लगता. इससे दूसरे बैंक भी कंपनियों
से संतुष्ट दिखे. इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब पीएनबी के शाखा प्रबंधक गोकुलनाथ
शेट्टी सात साल तक एक ही पद पर रहने के बाद रिटायर हुए. यह बैंकिग गाइडलाइन सीवीसी
का उल्लंघन करता है क्योंकि नियमानुसार बैंकों को नियमित रूप से दो या तीन साल पर तबादला
करना होता है. जबकि पीएनबी की यह कोर ब्रांच और संवदेनशील ब्रांच होने के बाद भी यहां
के मैनेजर का ट्रांसफर होने के बाद भी रोका जाता रहा.
इसी वर्ष 16 जनवरी को नीरव मोदी से जुड़ी
कंपनियों डायमंड्स आर यूएस,
सोलर एक्सपोर्ट्स, स्टेलर डायमंड्स ने बैंक को
संपर्क कर बायर्स क्रेडिट की मांग की जिससे वे अपने विदेश के कारोबारियों को भुगतान
कर सकें. नये ब्रांच मैनेजर ने इसके उनसे उतनी ही नकदी की मांग की तो कंपनियों के
अधिकारियों ने जवाब दिया कि वे सन 2010 से इस तरह की सुविधा पाते आये हैं. उन्होंने
इसके लिए कभी नकद भुगतान नहीं किए. इसके बाद ही सारा मामला पकड़ में आया. जानकारी
से पता चला कि इस मामले में संलिप्त एक एलओयू (LoU) की कीमत
9.539.3 करोड़ रुपये है. इसी के साथ 1799.3 करोड़ रुपये का एक फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट
भी जारी किया गया. इसमें सोलर एक्सपोर्ट्स 2152.8 करोड़, स्टेलर
डायमंड्स 2134.7 करोड़, डायमंड्स आर यूएस 2110.6 करोड़,
गीतांजलि गेम्स 2144.3 करोड़, गिली इंडिया
566.6 करोड़ व नक्षत्र व चांदरी को 321.1 व 9.1 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. ये रकम
एक विदेशी बैंक के साथ पंजाब नेशनल बैंक के खाते में दी गई थी जिसे नोस्ट्रो एकाउंट
कहते हैं. पैसा इस एकाउंट से नीरव मोदी के विदेश में मौजूद उन सप्लायर्स को भेजा
गया जो बिना तराशे हुए हीरे सप्लाई करने का काम करते हैं. जब ये फ़र्ज़ी LoU
मैच्योर होने लगे तो पंजाब नेशनल बैंक के भ्रष्ट कर्मचारियों ने सात
साल तक दूसरे बैंकों की रकम का इस्तेमाल इस लोन को रिसाइकिल करने के लिए किया. इस सारी
धोखाधड़ी से तब पर्दा हटा जब पंजाब नेशनल बैंक के भ्रष्ट कर्मचारी-अधिकारी रिटायर हो
गए और नीरव मोदी की कंपनी के अफ़सरों ने जनवरी में दोबारा इसी तरह की सुविधा शुरू करने
की गुज़ारिश की. नए अधिकारियों ने ये ग़लती पकड़ ली और स्कैम से पर्दा हटाने के लिए
आंतरिक जांच शुरू कर दी. पंजाब नेशनल बैंक ने खुलासा किया कि उसने 1.77 अरब डॉलर (करीब
11,400 करोड़ रुपये) के घोटाले को पकड़ा है. इस मामले में अरबपति
हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने कथित रूप से बैंक की मुंबई शाखा से फ़र्ज़ी गारंटी पत्र
(LoU) हासिल कर अन्य भारतीय ऋणदाताओं से विदेशी ऋण हासिल किया.
इस संबंध में बैंक ने अपने 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया
है और इस मामले की शिकायत केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से की है.
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