शब्दों की रवानी भी
नज़र की शोख़ी में
छोटी पड़ जाए,
दिल की आवाज़,
दिल से निकले और
सीधे दिल से टकराए.
वो एक पल के शतांश में
तेरी आँखों का यूँ मटकना,
होंठों में लरजन और
शब्दों का गुम हो जाना,
थाम कर
वक़्त की उड़ान को
एक झटके में,
वक़्त के साथ
गुज़रे वक़्त की यात्रा कर आए,
न जाने कितनी हसीन यादें
एक अदा पर समेट लाए.
++
कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
12-02-2018
नज़र की शोख़ी में
छोटी पड़ जाए,
दिल की आवाज़,
दिल से निकले और
सीधे दिल से टकराए.
वो एक पल के शतांश में
तेरी आँखों का यूँ मटकना,
होंठों में लरजन और
शब्दों का गुम हो जाना,
थाम कर
वक़्त की उड़ान को
एक झटके में,
वक़्त के साथ
गुज़रे वक़्त की यात्रा कर आए,
न जाने कितनी हसीन यादें
एक अदा पर समेट लाए.
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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
12-02-2018
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