27 सितंबर 2016

लगनशील बेटी को मिली मदद

लैंगिक समानता के लिए जागरूकता अभियान के रूप में सम्पूर्ण देश में साईकिल यात्रा करते बिहार के नवयुवक राकेश कुमार सिंह की यात्रा का पड़ाव उरई, जनपद जालौन बना. 20 सितम्बर 2016 की शाम लोगों से मिलते-मिलाते, संवाद स्थापित करते हुए राकेश की साईकिल उरई के विभिन्न स्थानों, चौराहों पर रुक कर नागरिकों से संवाद स्थापित करने का सूत्र बन रही थी. महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, बच्चियों के साथ होती छेड़छाड़ की घटनाएँ, कन्या भ्रूण हत्यायें, भेदभाव, लैंगिक असमानता आदि विषयों पर चर्चाएँ की जा रही थी. जागरूकता अभियान के इसी क्रम में राकेश की साईकिल उरई शहर के रेलवे स्टेशन की ओर चल दी. शाम रात में बदल चुकी थी. संक्षिप्त वैचारिकी के बाद जागरूक राकेश की दृष्टि स्टेशन के पूछताछ केंद्र की रौशनी में पढ़ती एक छोटी बच्ची की तरफ गई. वे सहजता-असहजता की स्थिति के साथ उस बच्ची के पास पहुँचे. वो छोटी बच्ची, दिव्या पूरी तन्मयता के साथ अपने स्कूल का कार्य करने में लगी हुई थी. उसी के पास उसकी छोटी बहिन खेलने में मगन थी. 

दिव्या अपनी छोटी बहिन के साथ, रेलवे स्टेशन पर 

राकेश को अपने सामने खड़े देखकर एक पल को वे दोनों कुछ सकुचाई सी किन्तु राकेश के वात्सल्यपूर्ण व्यवहार से उनका संकोच दूर हो गया. चन्द मिनट की बातचीत से पता चला कि वे दोनों बहिनें स्टेशन के पास ही किराये के मकान में अपनी माँ के साथ रहती हैं. घर में बिजली व्यवस्था न होने के कारण दिव्या स्टेशन के बाहर की रौशनी में आकर स्कूल में मिला अपना गृहकार्य पूरा करती है. माँ मजदूरी करती है, उसकी बहिन अभी पढ़ती नहीं है बस उसका साथ देने यहाँ चली आती है, पढ़ना उसे बहुत अच्छा लगता है, वे गरीब हैं, ऐसी कुछ बातें बताते हुए उस बच्ची ने राकेश की फोटो खींच लेने की बात पर अपना सिर सहमति में हिला दिया.
राकेश ने सहज भाव से दिव्या और उसकी बहिन की कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल कैमरे से निकाल ली. शहर में अन्य जगहों पर चर्चा करते हुए राकेश देर रात शहर के अपने ठिकाने पर वापस लौटे. लौटते ही सबसे पहले राकेश ने उस बच्ची की तस्वीर उसके द्वारा मिली संक्षिप्त जानकारी के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर दी. संवेदनात्मक दृष्टि रखते हुए उस तस्वीर को राकेश के कई मित्रों सहित उरई तथा उरई से बाहर के कई जागरूक लोगों ने शेयर किया. मीडिया के कुछ साथियों ने उस खबर को वेबसाइट पर तो कुछ मित्रों ने समाचार-पत्रों में प्रकाशित किया. 

लैंगिक आज़ादी के लिए साईकिल यात्री राकेश कुमार सिंह द्वारा लगाई गई पोस्ट 

इस बीच 25 सितम्बर की शाम कुछ स्थानीय मित्रों ने खबर दी कि जिलाधिकारी जालौन संदीप कौर द्वारा उस बेटी को आर्थिक मदद करने के साथ-साथ आवास भी उपलब्ध करवा दिया गया है. इस बारे में जानकारी करने पर पता चला कि राकेश द्वारा सोशल मीडिया पर डाली गई खबर के लगातार शेयर होती रही और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने पहुँची. वहाँ से आदेश होते ही जिला प्रशासन हरकत में आया और दिव्या के परिवार को मदद उपलब्ध करवाई गई. दिव्या की माँ मोनिका के नाम डूडा कॉलोनी में एक आवास आवंटित किया गया. इसके साथ-साथ दस हजार रुपये की आर्थिक मदद भी दी गई. इसके साथ ही उसे समाजवादी पेंशन योजना से लाभान्वित किये जाने का भी भरोसा दिया गया. 

जिलाधिकारी जालौन, संदीप कौर द्वारा सहायता 

दिव्या की माँ मोनिका ट्रेन में भीख माँगकर गुजारा करती है. उसके पति द्वारा उसको छोड़ दिया गया है. दिव्या की पढ़ाई में विशेष रुचि है. उनकी स्थिति जानने के बाद जिलाधिकारी ने उन्हें हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया है.

राकेश के प्रयास के साथ-साथ प्रदेश मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी के कदम अनुकरणीय एवं सराहनीय हैं.  


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