13 फ़रवरी 2015

प्यार के नाम पर भटकते युवा



नया दौर है, नई सोच है, नया ज़माना है तो फिर ऐसे में प्यार का अंदाज़ भी नया न हो ये संभव नहीं. प्यार अब परदे के पीछे की विषय-वस्तु नहीं रह गया है, अब वो जितना खुलकर सामने आये उतना ही सार्थक समझा जाने लगा है. छिप-छिप कर देखना, मिलना, चोरी-चोरी एक दूसरे को देखना अब बहुत-बहुत पुराणी बातें हो गईं हैं. अब तो पार्क में, मॉल में, रेस्टोरेंट में, थियेटर में, मेट्रो में, बस में, कॉलेज की कैंटीन में, लाइब्रेरी में और भी जगहें जहाँ कभी सोचा नहीं गया है (लिफ्ट, बाथरूम आदि जैसे) में प्रेम की पींगें खुल्लमखुल्ला लगाते युवा देखने को मिल जाते हैं. प्यार करने का इतना खुला स्वरूप किसी ने कभी भी नहीं सोचा होगा, संभवतः आधुनिकता के पहरुआ भी नहीं जानते होंगे कि आने वाली पीढ़ी उनके विचारों को मूर्त रूप देकर फुटपाथ पर, सड़क किनारे, बाइक चलाते भी अपने प्यार की बेकरारी प्रदर्शित करने में लग जाएगी. प्यार का ऐसा रूप देखकर कई बार एहसास होता है कि ये प्यार है या प्यार के नाम पर देह के प्रति आसक्ति है; प्रेम के नाम पर सेक्स के प्रति आकर्षण है?
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आधुनिकतावादियों के विचारों का परिणाम ये हुआ कि प्रेम को युवाओं ने करना अपना अधिकार समझा तो बाज़ार ने उसे उत्पाद बनाकर पेश कर दिया. प्यार के नाम पर बाज़ार तरह-तरह के उत्पादों से अटा पड़ा है. युवाओं की प्रेम के नाम पर दिखती बेकरारी को बाज़ार ने भरपूर तरीके से भुनाया है. कभी कार्ड के नाम पर, कभी चॉकलेट के नाम पर, कभी टैडी के नाम पर, कभी किसी आयोजन के नाम पर प्रेम भावनाओं को बाज़ार में उत्पाद बनाकर खड़ा कर दिया है. आधुनिकता भरी सोच ने जीवन पद्धति को नकारने का काम किया है तो संस्कार, संस्कृति, परिवार, रिश्तों आदि को भी बहुत हलके से लिया है. इस सोच के चलते जीवन मूल्यों में बुरी तरह गिरावट देखने को मिली है जिसके परिणामस्वरूप प्रेम के नाम पर चल रहे छलावे को रोकने के किसी भी कदम को दकियानूसी बना दिया गया, पुरातनपंथी साबित कर दिया गया. इस तरह के रवैये के चलते युवा वर्ग प्रेम करने को अपना अधिकार मानकर खुलेआम विरोधी स्वरों के साथ सामने आ गया. प्रेम तो करना ही करना है, जैसी मानसिकता ने न केवल सामाजिकता को खतरे में ला दिया है बल्कि उन लड़कियों के जीवन को खतरे में डाला है जो हर ऐसे-गैरे से प्यार करने को तैयार नहीं हैं.
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प्यार का अधिकारनुमा प्रदर्शन ने, बाज़ार द्वारा प्रेम को सर्वसुलभ बना देने से प्रेम मन, ह्रदय से आगे जाकर देह तक पहुँच चुका है. असुरक्षित यौन संबंधों के रक्षार्थ बने संसाधनों की मदद से प्रेमी युगल पार्कों के एकांत, मॉल के अँधेरे कोने, मल्टीफ्लेक्स के बाथरूम, सुदूर स्थानों के सस्ते होटलों के सुसज्जित कमरों में अपने प्रेम की पूर्णता प्राप्त करते हैं. आज के आधुनिकता के पुरोधा इस बात का विरोध करते हैं और संस्कृति रक्षा के ठेकेदार जगह-जगह प्रेम के खुलेपन का विरोध करते देखे जाते हैं. देखा जाये तो दोनों पक्षों के पोषक ही अपनी-अपनी जगह गलत हैं. प्रेम का जैसा खुलापन अब दिख रहा है वो प्रेम न होकर छिछोरापन बन गया है. जहाँ चाहे वहाँ लिपटा-चिपटी करते, सार्वजनिक रूप से चूमा-चाटी में लिप्त युवा जोड़े किस तरह के प्रेम में मगन हैं ये खुद वे भी नहीं जानते. देह के उतार-चढ़ावों पर चढ़ते-उतरते, पहली नजर के प्रेम के नाम पर होंठों से गुजरते हुए शारीरिक संबंधों पर अपने प्यार की इतिश्री करने वालों को प्रेम की पावनता का एहसास कैसे हो सकता है? इसी मानसिकता में कुंठित व्यक्ति सामाजिकता के लिए घातक बन जाता है. जगह-जगह बेटियों पर होते तेजाबी हमले, बच्चियों, किशोरियों, महिलाओं के साथ होती सामूहिक यौन हिंसा ने प्रेम के विरोध में लोगों को खड़ा कर दिया है.
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प्यार के नाम पर इस भटकन को रोका जाए, प्रेम के नाम पर चलने वाले व्यापार को थामा जाए, प्रेम के नाम पर चल रही दैहिक दुकानों पर अंकुश लगाया जाए, प्रेम के नाम पर बरगलाने की घटनाओं पर नियंत्रण लगाया जाए तो उन सभी घटनाओं को थामा जा सकता है जो आये दिन हमें देखने को मिलती हैं. अविवाहित मातृत्व, कूड़े के ढेर पर मिलते नवजात बच्चे, यौनजनित बीमारियों की चपेट में आते युवा, प्रेम में असफल रहते युवाओं का नशे, अपराध, आत्महत्या जैसे क़दमों का अपनाना आदि-आदि ऐसा कुछ है जो प्यार के नाम को ही कलंकित कर रहा है. आधुनिकता को अपनाना बुरा नहीं है किन्तु आधुनिकता के नाम पर अंधे होकर बैठ जाना गलत है. अपने बेटे-बेटियों के किसी भी कदम को महज इस कारण स्वीकार कर लेना कि हम आधुनिक हो गए हैं, उन्हें कहीं न कहीं गलत दिशा में जाने को प्रेरित करता है. ये समझना होगा, समझाना होगा कि प्रेम करना बुरा नहीं है, प्यार का प्रदर्शन बुरा नहीं है मगर उसमें फूहड़ता का होना, उसमें निर्लज्जता का समावेश, उसके द्वारा शारीरिकता की चाह रखना गलत है. यदि इतनी सी बात को समझ लिया जाए तो पार्कों, सडकों, कैंटीनों आदि में आलिंगनबद्ध युवा जोड़े प्रेम की असलियत को समझ जायेंगे.   

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