17 जनवरी 2010

समझ नहीं आता लोग पढना और देखना क्या चाहते हैं? माइक्रो पोस्ट


क्या आप सब में से किसी को भी ये लघुकथा (जोर से बोलो जिन्दाबाद) और मनोरंजन के लिए लगाए ये चित्र(हम भी करते हैं योग - जय बाबा रामदेव) बिलकुल पसंद नहीं आये?
कोई एक टिप्पणी तक नहीं, क्या किसी ने इन्हें देखा तक नहीं?
समझ नहीं आता लोग पढना और देखना क्या चाहते हैं?



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चित्र गूगल छवियों से साभार

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी शिकायत दूर कर दी है मित्र ...
    वैसे अपने यहाँ... इस हाथ दे और उस हाथ ले वाला हिसाब-किताब चलता है ना?
    :-)

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  2. ब्लोग पाठक के मन जानी यह तो ना जाने अन्तर्यामी

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  3. गीता का ध्यान रख, आप तो बस लिखते जाईए

    बी एस पाबला

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  4. यह तो आप को ही पता करना होगा कि लोग क्या पसंद करते हैं। पर मार्केटिंग का ताजा नियम यह है कि लोगों को जरूरत नहीं हो तो जरूरत पैदा कर दो।

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  5. भैया यह मन बड़ा बावला है, कभी घटिया सी चीज भी पढ़ लेता है और कभी उम्‍दा चीज को देखता भी नहीं। क्‍या करें? आपका दर्द जायज है, हम सब भी इस दौर से गुजरते हैं।

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  6. .
    .
    .
    आपकी शिकायत दूर कर दी है मित्र ...

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  7. आप तो बस बिना फल की इच्छा रखे कर्म करते रहिए...
    वैसे है तो थोडा मुश्किल ही:)

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