श्री हरिगोपाल गौड़ ने दो वर्षों तक दैनिक लोकस्वर में उप-सम्पादक के रूप में कार्य किया था। लोकस्वर में उनकी साप्ताहिक प्रकाशित होने वाली ‘नानाजी की चिट्ठी’ ने बड़ी ही प्रतिष्ठा हासिल की थी। इस ब्लाग पर उनकी इन्हीं चिट्ठियों का प्रकाशन समय-समय पर किया जायेगा।
श्री हरिगोपाल गौड़ 31 मई 1988 को मध्यप्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग से अंगेजी व्याख्याता तथा प्राचार्य पद पर अपनी सेवायें देने के बाद सेवानिवृत्त हुए। शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय में अंगेजी के सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य प्रारम्भ करने वाले हरिगोपाल जी ने गुरुनानक उच्चतर माध्यमिक शाला, बिलासपुर, नेशनल कान्वेंट उच्चतर माध्यमिक शाला, खरसिया तथा बाल्को स्कूल, अमरकंटक में प्राचार्य के पद पर कार्य किया।
कार्य के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले श्री गौड़ ने दो वर्षों तक दैनिक लोकस्वर में उप-सम्पादक तथा एक वर्ष दैनिक भास्कर बिलासपुर के उप-सम्पादक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने कुछ वर्षों तक लखनऊ से प्रकाशित ‘नेशनल हेराल्ड’ और नागपुर से प्रकाशित ‘हितवाद’ के संवाददाता के रूप में अपनी सेवायें प्रदान कीं। नानाजी की चिट्ठी की तरह दैनिक भास्कर में उनके द्वारा सम्पादित बच्चों के पृष्ठ ‘इंद्रधनुष’ ने भी बहुत प्रशंसा प्राप्त की थी।
लेखन के प्रति विशेष रुचि रखने वाले श्री गौड़ की रचनायें शुरुआती दिनों से ही प्रकाशित होतीं रहीं हैं। उनकी पहली सानेट ‘रेमेम्ब्रेन्स’ सन् 1952 में ‘ब्लिट्ज’ में प्रकाशित हुई थी। उनकी लम्बी कविता ‘लाइट आफ द सोल’ महात्मा गाँधी द्वारा नाओखाली और उसके आसपास की पदयात्राओं के व्यापक प्रभाव पर लिखी गई है। उनके लेख, कहानी, कविता, लघुकथा महाविद्यालयीन पत्रिकाओं में, एम0पी0 क्रानिकल, भोपाल के संडे मैगजीन में प्रकाशित होतीं रहीं हैं।
आजकल वे अपने पहले उपन्यास ‘लाइफ हैज नो रिप्लाई’ के लेखन में व्यस्त हैं। इस उपन्यास में उनके जीवन का विविध रूपात्मक वृत्तान्त है।
सम्प्रति श्री हरिगोपाल गौड़ लायंस इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल, चाँपा में प्राचार्य के पद को सुशोभित कर रहे हैं।
12 नवंबर 2009
नानाजी की चिट्ठियों का प्रकाशन ब्लॉग पर
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इसे जल्द ही करें। आज चिट्ठियों की ज्यादा जरूरत है।
जवाब देंहटाएंनाना जी की चिट्ठियों का हमें इन्तजार रहेगा!
जवाब देंहटाएंwe r eager to see letters of Nanaji.
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