करिये उन्हें याद जो चले गये देश के नाम पर। इस चुनावी मौसम में हर किसी को गांधी, नेहरू की याद आ रही है; किसी को अम्बेडकर की तो किसी को महात्मा बौद्ध याद आ रहे हैं। इन्हीं यादों के बीच लोगों ने याद किया जेड गुडी को, जो कल प्रातः (जैसा कि मीडिया ने खबर दी) संसार को छोड़कर चलीं गईं।
कौन किसे याद करता है किसे नहीं यह उस व्यक्ति की अपनी का विषय होता है पर जेड गुडी को उनके कुछ कार्यों के कारण अवश्य ही याद किया जा रहा है। हमारे देश की संस्कृति में एक विशेष बात ये है कि मृतात्मा के लिए कभी भी अपशब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। जेड गुडी क्यों प्रसिद्ध हुई यह सबको पता है पर जो इस देश की परम्परा है उसके अनुसार ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार को धैर्य और इस दुःख को सहने की ताकत दे।
जहाँ तक हमारे देश के वर्तमान व्यक्तित्वों का सवाल है वे खुलेआम अपने शहीदों का, महान व्यक्तित्वों का अपमान करते घूम रहे हैं। कोई किसी को गाली दे रहा है कोई किसी को पूरी व्यवस्था को चौपट करने वाला बता रहा है। समझ में नहीं आ रहा है कि हमारे देश के नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है या फिर हमारे देश के पूज्य लोगों की बेइज्जती करने में लगे हैं। कौन किसे क्या कह रहा है यह किसी से भी नहीं छुपा है। यह सब देखकर तो लगता है कि यदि इन महान व्यक्तित्वों की आत्मायें (जो आत्मा-परमात्मा में विश्वास नहीं करते उनसे क्षमा) आपस में मिलतीं और अपने सुख-दुख की चर्चा करतीं होगी तो निश्चय ही मिल कर पूरी संविधान सभा से सवाल करतीं होगी कि क्यों चुनाव को, मतदान प्रक्रिया को इस देश के संविधान में रखा गया?
23 मार्च 2009
शहीदों की आत्मा करती होगी सवाल
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शहीदों को नमन ...
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