29 अक्टूबर 2008

"पुलिस आपकी मित्र है"

अभी दीपावली की शुभकामनाएं आदान-प्रदान करने का समय भी नहीं बीता है कि कुछ लोगों के साथ ऐसा हो गया कि उनकी सारी की सारी दीपावली का मजा ख़राब हो गया होगा. सड़क पर जा रहे कुछ लोगों को (भले लोग ही रहे होंगे) एक असहाय आदमी दिखा जो किसी वाहन आदि से टकरा कर घायल हो गया था. उन भले लोगों ने उसको उठा कर हॉस्पिटल तक पहुँचाया. यहीं गलती कर दी. तमाम तरह की कार्यवाही करने के बाद (पुलिसिया कार्यवाही पहले की गई, ये आरोप भी लगने की नौबत आ गई कि ये दुर्घटना उन्हीं ने की है) बड़ी जिल्लत सहने के बाद छूट सके. छूटने में सिफारिश ही काम आई।
इसी पुलिसिया आतंक (सहयोग) पर दो शब्द.............
सड़क पर पड़े
घायल को देख कर
कतरा कर,
आँख बचा कर
निकलते लोग.
याद आता
मानवता का संदेश,
पर......
सहायता के लिए
बढ़ते क़दमों को,
विचारों को रोक देते हैं
नगर के किसी
"विशेष इमारत" के सामने
लगे "बोर्डों" के "संदेश",
"पुलिस आपकी मित्र है"
सदैव
"आपकी सेवा को तत्पर".

3 टिप्‍पणियां:

  1. "पुलिस आपकी मित्र है" सदैव "आपकी सेवा को तत्पर".
    इस से ज्यादा गिरा हुआ मजाक आम आदमी के साथ कभी नहीं किया गया.

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